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Monday, September 7, 2020

संतुलित आहार व पोषक पदार्थों का कैलोरिक महत्व

 Balance diet of humans and caloric importance of nutrients ( protein, carbohydrates and fats) 

 What is  the food:-
          एक व्यक्ति अपने शारीरिक गतिविधियों को बनाए रखने के लिए  अर्थात ऊर्जा प्राप्त करने के लिए मनुष्य 1 दिन में जितना भोजन ग्रहण करता है।भोजन का वह  पूर्ण मात्रा ही आहार (food)  कहलाता हैं।

     Definition of balanced diet:-   
   जैसा कि हम जानते हैं हम अपने पोषण(Nutrition) क्रिया में अपने भोजन से उन पोषक पदार्थों(Nutrients) को पचाकर प्राप्त करते हैं। जो शरीर की  कोशिकाओं  के उपापचय(metabolism) में निरंतर प्रयुक्त होते रहते हैं। हमारे शरीर की वृद्धि, स्वास्थ्य, क्रियाशीलता, उद्यमशीलता, आयु आदि लक्षण हमारे आहार की गुणवत्ता(Quality) तथा मात्रा(Quantity) पर निर्भर करते हैं। इसीलिए एक पुरानी कहावत है कि" तुम वैसे ही होते हो जैसा खाते ह" स्पष्ट है कि हमारे आहार में विभिन्न प्रकार के सभी पोषक पदार्थों ऐसे अनुपात में होने चाहिए कि जिससे हमारे शरीर की सारी विभिन्न आवश्यकतओं की निरंतर पूर्ति होती रहे। ऐसे ही आहार को संतुलित आहार(Balance Diet) कहते हैं।




Calories value of food ( भोजन की उष्मीय गुणवत्ता):- 
        भोजन की उपापचयी उपयोगिता को उष्मीय ऊर्जा की इकाइयों(units) में व्यक्त किया जाता है जिन्हें उष्मांक(Calories) कहते  हैं। एक छोटा  उष्मांक ( small calorie-cal.or C) तापीय ऊर्जा( Heat energy)   की मात्रा होती है जो 1 ग्राम जल के ताप  को 1 डिग्री सेल्सियस बढ़ा देती है ।1000 छोटे उष्मांको   का एक बड़ा उष्मांक( large Calorie-kcal. Or C) अर्थात किलो  उष्मांक होता है। इसमें इतनी तापीय उर्जा होती है जो 1 किलोग्राम जल के ताप को  1°C बढ़ा देता है ।

शरीर को जीवित रखने के लिए आवश्यक ऊर्जा हमें तीन श्रेणियों के दीर्घा पोषक पदार्थों- कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, तथा वासाओं के आक्सीकर विखंडन  अर्थात  उपापचय जारण से प्राप्त होती है एक ग्राम कार्बोहाइड्रेट    या प्रोटींस  के उपापचयी जारण से 4 किलो कैलोरी तथा 1 ग्राम वसा की  जारण से 9.3 किलो कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। 


Healthy Eating  (स्वस्थ आहार):- 

 यदि भोजन से प्राप्त होने वाली  समस्त ऊर्जा को हम निरंतर अपनी जैविक क्रियाओं   खपाते रहे अर्थात ऊर्जा की आमद  इसकी खपत के बराबर रहे ( energy input is equal to energy output)  तो हमारा शरीर स्वस्थ बना रहता है ।
 वैज्ञानिकों ने  पता लगाया कि सामान्य दिनचर्या के लिए   शिशुओं तथा वृद्ध व्यक्तियों को लगभग 1600, बड़े बच्चों को लगभग 2200 तथा जवान व्यक्तियों को लगभग 2800 किलो कैलोरी ऊर्जा की आवश्यकता होती है।  शारीरिक श्रम करने वाले व्यक्ति को श्रम की सीमा के अनुसार अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि भारतीयों में दैनिक आवश्यकता की लगभग 50%-60% ऊर्जा की पूर्ति कार्बोहाइड्रेट से, 25 से 30% की वहां से तथा 15% प्रोटीन से होती है। इन आंकड़ों के हिसाब से हमारे भोजन सामग्री में अवचेतन 400 से 500 ग्राम कार्बोहाइड्रेट 770 ग्राम वसा ए तथा 65 से 75 ग्राम प्रोटीन का होना आवश्यक होता है अंतः स्वास्थ्य,  संतुलित आहार के निर्धारण के लिए पहले यह जान लेना आवश्यक होता है कि हमारे विभिन्न  श्रेणियों की भोजन सामग्री में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन तथा वसाओं की कितनी कितनी प्रतिशत मात्राएं होती हैं

   भोजन सामग्रियों में कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन तथा वसाओं की लगभग प्रतिशत मात्राएं( Approximate Percentage Contents  of Nutrients in Our Foodstuff) 



                 

Thursday, September 3, 2020

Fat, function and Requierments

 FAT (वसा) 
Introduction:-
             वसा (Fat) का निर्माण माइट्रोकांड्रिया में होता है, जो Glyserol+fatty acids से एक एस्टर बनता है,उसे ही वसा (Fat )कहतेहैं।इसमें कार्बन हाइड्रोजन ऑक्सीजन विभिन्न मात्रा में मिले होते हैं। जब वसा 20 डिग्री सेल्सियस ताप पर द्रव अवस्था में हो तो तेल कहलाता है, परंतु अगर वह इसी ताप पर ठोस अवस्था में हो तो वसा कहलाता है वह समय मिलने वाले ऊर्जा कार्बोहाइड्रेट से 2 गुना अधिक होती हैं। वसा हमेशा ठोस रूप में ही पाया जाता है।
 Sources of Fat:- 
 Animal source:- दूध, घी,मक्खन , अंडे की जर्दी,  मांस, मछली ।
Plant source:-मूंगफली, सरसों का तेल, सोयाबीन, तिल का तेल,  नारियल ,बादाम , दालें आदि। 
 Daily requirement:-  
(15%-20% of total calories).
" एक महिला को प्रतिदिन 70 ग्राम और पुरुषों को 95 ग्राम और बच्चों को 70 ग्राम का सेवन करना चाहिए "। 
 Types of Fat:- 
 वसा के प्रकार निम्न है-
1-संतृप्त वसा(saturated Fat)
2-असंतृप्त वसा ( unsaturated fat)
3-ट्रांस फैटी एसिड(Trans fatty acids) 

1-संतृप्त वसा(saturated Fat):-  यह उच्च LDLस्तर 'खराब कोलेस्ट्रॉल' का सबसे बड़ा कारण होता है। इसके सेवन से बचना चाहिए जैसे मक्खन, पनीर, आइसक्रीम, क्रीम और वायु युक्त मांस, नारियल तेल, ताड़ का तेल, तेल जैसे पदार्थ में पाया जाता है।

2-असंतृप्त वसा ( unsaturated fat):- यह  रक्त कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है। इसमें कैलोरी की मात्रा काफी होती है, इसका सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए जैसे जैतून का तेल, मछली, अखरोट, सूरजमुखी, मक्का, सोयाबीन, जैसे पदार्थों में पाया जाता है।

3-ट्रांस फैटी एसिड(Trans fatty acids) :- जो वनस्पति तेल हाइड्रोजनीकरण की प्रक्रिया के दौरान सख्त हो जाता है। यह LDL के स्तर को बढ़ा सकता है और HDH अच्छे कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम कर सकता है। इसका उपयोग सीमित मात्रा में करना चाहिए जैसे:- तले हुए भोजन, बाजार की चीजें -डोनेट, कुकीज़,प्रोसेस्ड फूड्स में पाए जाते हैं।  
Function of fat:- 
   - वसा शरीर में ऊर्जा प्रदान करता है।
-त्वचा के नीचे जमा होकर शरीर के ताप को बाहर नहीं निकलने देता।
-ये Fat soluble vitamins को absorption करने में मदद करता है।
 Deficiency of  fat:- 

           इसकी कमी से-
       -   त्वचा रुखी हो जाती है।
     -  वजन कम होने लगता हैं   -शारीरिक विकास रूक जाता है।
इसकी अधिकता से-
  - शरीर स्थल हो जाता है।
-हृदय  संबंधी रोग होने लगते हैं 
-  रक्तचाप बढ़ जाता है।


Tuesday, September 1, 2020

What is Mineral salts and water? Important and source

 
MINERAL SALTS (खनिज लवण) 

    हमारे शरीर में अल्प मात्रा में लगभग 20 प्रकार के खनिज लवण  मुखयातः आयनों  के रूप में होते हैं। शरीर की कुल भार का लगभग 4 से 5% अंश  बनाते हैं। यह अकार्बनिक तत्व होते हैं। इन्हें भोजन से प्राप्त किया जाता है यद्यपि इनकी अल्प मात्रा की ही शरीर में खपत होती है, परंतु इनके बिना शरीर की  सुचारू क्रियाशीलता को बनाए रखना असंभव  होता है। इसीलिए  इन्हें अल्प पोषक ( Micronutrients) कहते है। इनके खनिज तत्वों को दूसरा में बांटा जाता है। 
लघु तत्व(minor elements) अपेक्षाकृत कुछ अधिक मात्रा की आवश्यकता होती है तथा
 अल्प तत्व(trace elements) जिनकी  बहुत ही कम मात्रा में आवश्यकता होती है।

Important of Minerals in our Body:-

  हमारे शरीर में खनिज लवणों तत्वों की महत्व निम्नलिखित है

(1) कुछ खनिज आयन कोशिका द्रव्य तथा  कोशिका कला में Electro-chemical conductivity उत्पन्न  करके irritability तथा reactivity का संचालन करती हैं।
(2) कुछ खनिज आयन उपापचय अभिक्रियाओं में अणुओं को जोड़ने वाले बन्धो  का काम करते हैं।
(3 )कुछखनिज लवण जैसे की कैलशयम फास्फेट  bones and teeth के प्रमुख घटक होते हैं।
(4)कुछ खनिज तत्व हृदय स्पंदन ,पेशी संकुचन  , रुधिर का थक्का आदि के लिए आवश्यक होते हैं।
(5) कुछ खनिज शरीर के तरल  intrnal environment में उपयुक्त  pawer of hydrogenतथा blood pressure आदि का नियमन करते हैं।

 Types of mineral elements:-

  Minerals divided in Two parts - A) Minor elements and B) Trace elements

 A) Minor elements में पाए जाने वाले खनिज तत्व निम्न है :-
1) कैल्शियम(calcium-ca) :-  
     Daily requirement:- about 800mg

   Sources:  milk, Hard cheese, Ice Cream, Broccoli, egg , fish etc. 

Function:  विटामिन के  साथ दातो और हड्डियो  को दृढ़ता प्रदान करता है; रूधिर स्कन्दनः , एवं पेशियों के कार्य।

2) फास्फोरस (Phosphorus-P) :- 
       Daily requirement:-1.5g of phosphate 

   Sources: milk, cheese, egg yolk,meat,fish, chicken,nuts, cereals etc.

Function:- . दातो और हड्डियो की रचना; तथा कठोरता प्रदान करता है तथाacid and base को संतुलित बनाएं रखता हैं ;ATP,DTP,RNA आदि का घटक।

3) पोटेशियम (  potassium-k):- 
 Daily requirement:- about 4g

 Sources:- meat ,fish ,chicken ,cereals, vegetables and fruits etc.

Function:-  acid-base को balance करना।
- Intracellular fluid को mainteane करना।
-पेशियो की कार्यिकी, एवं हृदय-स्पदन।
-ये कोशिका द्रव्य में धनायन रूप में होता है।

4) सोडियम(Sodium-Na):- 
 Daily requirement:-1-3.5g). 

 Sources:-Table Salt,meat, fish, chicken, egg milk, and baking soda. 

Function:- Electrolytes and acid-base  के balance को maintain करना। 
-Maintenance of blood viscosity.
- help in transmission of nerve impulses and contraction of muscles.

5) मैग्नेशियम (Megnesium-mg):-
  Daily requirement:-about 3.5mg

 Sources:- milk, fish, meat, green vegetables, cereals and fruits .

Function:- 
-teeth and bones को constituent करना और उनकी grwoth और maintenance बनाए रखना।
 -Glycolysis के तथा एटीपी पर आश्रित कई उपापचय अभिक्रियाओं के एंजाइमों का cofactor , तंत्रिका तंत्र की कार्यकी,।

6) आयरन (Iron):- 
 Daily requirement:- about 10-12 mg

Sources:- Liver,meat,egg yolk, dark green vegetables, enriched bread and cereals.
 Function:- 
Red Blood Cell में hemoglobin बनाने में सहायक होता है
 -तथा  tissues को oxynited बनाए रखने में आवश्यक है।

  7) जिंक (zinc-zn) 
Daily requirement:-  about 15gm   

Sources:- milk,egg,meat,sea food and cereals.

Function:-  protein and nucleic acid के संश्लेषण,
-पाचन एन्जाइमो सहित लगभग 100 एन्जाइमो का सहघटक करना।   
  8) सल्फर(Sulphur-S) 
Sources:- egg, meat,paneer, fish etc. 
Function:- कई amino acid and कुछ हार्मोन एवं विटामिनों का घटक ।
-कोलैजन एवं किरैटिन के संश्लेषण के लिए आवश्यक है।

9) फ्लोरीन (Fluorine-F) :- 
Daily requirement:- 2.5mg 
Sources:- drinking water,tea,sea food .

Function:- Bone and teeth को सुरक्षा करना ।

B) Trace elements में पाए जाने वाले निम्न खनिज तत्व:- 
1) आयोडीन(Iodine-I):- 
Daily requirement;- 150 micro gram 

 Sources;- Iodised Salt, sea food, Marine fish,fresh vegetables।

Function:- constituent of Thyroxine (T4)and Triodothyronine (T3).
-Regulates basal Metabolism. 

2) तांबा (Copper-cu):- 
Daily requirement;- 2.0 mg 

Sources:- meat,sea food, egg, fish,green vegetables,dry fruits etc।

Function:-  Hemoglobin and bones के निर्माण में सहायक होते हैं।
- इलेक्ट्रोनिक संवाहक के रूप में कार्य करता है।

3) कोबाल्ट(Cobalt-Co) :-
 Sources:- milk,fish, paneer meat etc. 

Function:- vitamins B12 and RBC के संश्लेषण में सहायक होते हैं।

4) मैंगनीज (Maganese-Mn):- 
Daily requirement:- 3.5mg 

 Sources:- green vegetables and fruits, cereals,tea,etc.

Function:- फास्फेट समूह के स्थानांतरण से संबंधित अभिक्रियाएं के कुछ एंजाइमों का सहघटक।
-यूरिया संश्लेषण।

5) क्रोमियम (chromium-Cr):- 
Daily requirement:- 120micro gram.

Sources:- Yeast,sea food,meat,some vegetables. 
Function:- ग्लूकोस तथा अपचयी उपापचय में महत्वपूर्ण

Water (जल)

जल  हमारे शरीर का प्रमुख अंग होता है शरीर के भार का कुल 65 से 75% भाग जल होता है

 कार्य( function of water):-

-जल हमारे शरीर के ताप को स्वेदन (पसीना ) तथावाष्पन द्वारा नियंत्रित रखता है।

-जल हमारे शरीर के अपशिष्ट पदार्थों के उत्सर्जन में सहायक होता है

-शरीर में होने वाले अधिकतर जैव रासायनिक अभिक्रियाएं जलीय माध्यम से संपन्न होती हैं।

 

 Vitamina ( विटामिन) 
सामान्य परिचय (General Introduction)

 Micronutrients minerals की तरह विटामिनों की भी बहुत ही सूक्ष्म मात्रा मिलीग्राम या माइक्रोग्राम में हमारे शरीर के सामान उपापचय मेटाबॉलिज्म के लिए अत्यावश्यक होती है यदि ऊर्जा प्रदान नहीं करते लेकिन अन्य ईंधन पदार्थों के संश्लेषण एवं सही उपयोग का नियंत्रण करते हैं ‌।
18 वीं सदी में Rickets के उपचार के लिए  काड मछली के तेल का तथा स्कर्वी रोग से बचाव के लिए ताजा फलों एवं सब्जियों का उपयोग आवश्यक बताया जाता था।
सन 1881 में  N.I.Lunin ने  विटामिन की खोज की और बताया कि स्वास्थ्य शरीर के लिए भोजन में अन्य पदार्थों के अतिरिक्त अज्ञात पदार्थों का भी सूक्ष्म मात्रा में होना आवश्यक होता है इसके बाद सन 1897 में Eijkman ने  लूनिन के खोज का समर्थन किया और पता लगाया कि बेरी बेरी का रोग आहार में पॉलिश किए गए चावल का अधिक उपयोग करने से होता है  ।  इन सभी के आधार पर Hopkins and Funk ने , सन् 1912  में vitamin theory को प्रस्तुत किया और इसमें बताया कि ऐसा प्रत्येक रोग आहार में किसी ना किसी विशेष विटामिन की कमी से होता है। फुन्क ने तो चावल की छीलन से  पहली बार बेरी बेरी रोग को उत्पन्न होने से रोकने वाले ऐसे पदार्थ को पृथक भी किया। उन्होंने इस पदार्थ के लिए सन 1912 में सर्वप्रथम विटामिन"(vita =life; amine=essential)" नाम  का उपयोग किया। 
यह अन्य पदार्थों से कुछ सरल कार्बनिक योगिक होते हैं।

विटामिन या तो स्वयं उपापचयी उत्प्रेरको अर्थात (Metabolic enzymes) के (Coenzymes) का काम करते हैं या सहएंजाइमों के संयोजन (composition) में भाग लेते हैं किस प्रकार के उपापचयी अभी क्रियाओं में उत्प्रेरको की क्रियाओं का नियंत्रण करते हैं। 

  Vitamins को उनकी घुलनशीलता के आधार पर दो प्रमुख श्रेणियों में बांटा गया है। 

A) water soluble vitamins (जल में घुलनशील विटामिन) 

B) Fat soluble vitamins (वसा में घुलनशील विटामिन)

A) WATER SOLUBLE VITAMINS  :-   

 जल में घुलनशील विटामिन होते हैं (Vitamin B and Vitamin C)।  

  जल में घुलनशील विटामिन की आवश्यकता से अधिक मात्रा का  अपशिष्ट पदार्थों के रुप में  उत्सर्जन होता रहता है। अतः शरीर में इनका विशेष संचय नहीं होता और इन प्रतिदिन भोजन से ग्रहण करना आवश्यक होता है।

1)  VITAMIN " B - complex" :- 

  सर्वप्रथम ज्ञात विटामिन , जिस funk ने 1912 में चावल की छीलन से पृथक किया जल में घुलनशील और नाइट्रोजन युक्त था उन्होंने इसे Vitamin B  का नाम दिया।   बाद में लगभग 10 ऐसे ही विटामिन की खोज हुई और इन सबको  B Complex  का सामूहिक नाम दे दिया गया।   उपापचय में सती भाग लेने वाले सहएंजाइमों(Coenzymes)  का प्रमुख अंश यही विटामिन बनाते हैं।

प्रमुख Vitamin B Complex  निम्नलिखित होते हैं; 

A) Vitamin B१ or Thiamine :-  

                   इसी विटामिन को funk ने  सन 1912 में चावल की छीलन से तैयार किया था, लेकिन विशुद्ध रूप में इसे सन 1934 में विलियम्स(Williams)  ने पृथक किया।  शीघ्र ही विलियम्स ने इसकी आण्विक संरचना ज्ञात करके इसका सन 1937 में कृत्रिम संश्लेषण किया।  जैन्सन(Jansen,1949) ने इसकी शुद्ध रवे (Crystals)  तैयार किए।   

Sources of Vitamin B1:-   दूध, हरी सब्जियों, अनाज के छिलकों, आलू , यीस्ट, मांस, मेवा, सोयाबीन, मछली ,अंडे  इत्यादि ।

Daily requirement:- 1.2-1.8 mg

 Function of of Vitamin B1:- 

✓ यह कार्बोहाइड्रेट तथा  वसाओं के आक्सीकर उपापचय मैं कार्बनिक पदार्थों से कार्बन डाइऑक्साइड हटाने वाली अभी क्रियाओं को प्रेरित करने वाले एंजाइमों अर्थात Cocarboxylase एंजाइमो के सहएजाइमों  का घटक होता हैं।

✓ यह तंत्रिकाओं पेशियो और हृदय की कार्यकी के लिए आवश्यक होता है।

Deficiency of Vitamin B1 

•    विटामिन की कमी से तंत्रिका तंत्र और पेशियों का कार्य बिगड़ जाता है जिससे अंगघात अर्थात  लकवे  तक की आशंका हो सकती है ।

•ह्रदय पेशियो  के क्षीण हो जाने से दिल की धड़कन बंद हो सकती है। 

•अपच एवं कब्ज हो सकते हैं, इन्हीं तीनों लक्षणों को सामूहिक रूप से बेरी बेरी का  रोग कहते हैं।

B) Vitamin B2 or Riboflavin:- 

    इस  विटामिन की खोज सन 1935 में  हुई जब इसे दूध से निकाला गया। यह गहरे पीले रंग का  ऑक्सीकर उपापचय (Metabolism) अर्थात  अपचय(Catabolism)  मे भाग लेने वाले Coenzymes , FAD तथा FMN,  का घटक होता हैं।  

Sources of Vitamin B2:- 

 पनीर, अंडा ,यीस्ट , टमाटर, हरी पत्तेदार सब्जियां, यकृत, मांस, दूध  इत्यादि। 

 Daily requirement:- about 1-8 mg .

Function of Vitamin B2:- 

     विटामिन b2 स्वास्थ्य तथा वृद्धि  के लिए आवश्यक होता है।

यह एड्रीनल ग्रंथियों में हारमोंस के संश्लेषण के लिए भी आवश्यक होता है।

यह स्वास्थ्य  त्वचा और  ऊतकों को व्यवस्थित रखता है।

Deficiency of   vitamin B2 :- 

Vitamin B2 की कमी से मुंह के कोण फट जाते हैं किलोसिस (Cheilosis)।

कमजोर  पाचन शक्ति , त्वचा व  आंखों में जलन, सिर दर्द, 

दिमागी क्षीणता, रुधिर क्षीणता, 

होंठों और नासिका पर पपड़ीदार त्वचा  आदि ‌।

C) Vitamin B 3 or Niacin:-  

 Source of vitamin B3:- 

  ताजा मांस, जिगर, मछली, अंडे, यीस्ट , अनाज, दूध, मटर, मेवा ,फलों आदि।

Daily requirement:- about 12 -  20 mg. 

Function of Vitamin B3:- 

 ✓  विटामिनb3 आक्सीकर उपापचय में भाग लेने वाले NAD तथा NADP नामक सहएन्जाइमों का  सक्रिय घटक होता है।

 ✓ पाचन एवं तंत्रिका तंत्र की  कार्यिकी , 

✓ त्वचा की सुरक्षा तथा लिंग हारमोंस के स्त्रावण  में इस का महत्व पूर्ण योगदान होता है।

D) Vitamin B5 or Pantothenic Acid :- 

 Source of vitamin B5 

  विटामिन B5 लगभग सभी खाद्य पदार्थों में होता है । परंतु यकृत ,गुर्दों , अंडे ,मांस, दूध, मूंगफली, गन्ने, अनाज, शकरकंदी , यीस्ट आदि में अधिक पाया जाता है।

Daily requirement:- 

Function of vitamin B5:- 

यह सभी प्रकार के पोषक पदार्थों के ऑक्सीकर उपापचय अर्थात अपचय में भाग लेने वाले महत्वपूर्ण सहएंजाइम का घटक होता है । 

एड्रिनल ग्रंथियों की स्त्रावण  क्रिया,

 सामान्य वृद्धि एवं विकास कथा तंत्रिका तंत्र की कार्य के लिए भी यह महत्वपूर्ण होता है।

 Deficiency of vitamin B5:- 

 चर्म रोग , मंदबुद्धि, थकावट, सिर दर्द,

 बाल सफेद होना, जनन क्षमता कम होना, हाथ पैरों में सुन्नता आदि

E)  Vitamin B6 or Pyridoxine:- 

Function of Vitamin B6:

    विटामिन बी 6 अमीनो अम्ल के उपापचय मैं महत्वपूर्ण भाग लेने वाले एंजाइमों का सहएंजाइम होता है।

लाल रक्त कोशिकाओं एवं प्रतिरक्षी प्रोटींस के बनने तथा पाचन एवं तंत्रिका तंत्रों की कार्य की में  इसका विशेष महत्व होता है। 

Source of vitamin B6:- 

 दूध, मांस, अनाज,   मछली ,जिगर ,केले , आलू, मेवे, यीस्ट  आदि।

   Daily requirement:- about 2 mg । 

Deficiency  ofVitamin B6:- 

 इसकी कमी से एनीमिया(Anemia), चर्म रोग(Dermatitis), कमजोरी, मतली,  पथरी, पेशिय ऐंठन (Convulsions) आदि।

F) Vitamin  B7 or  Biotin:- 

    Sources of Vitamin B7:

 सब्जी ,फल, गेहूं  केला अंगूर तरबूज चॉकलेट अंडे मूंगफली जिगर मांस यीस्ट इत्यादि। 

Daily requirement

 Function of Vitamin B7:- 

विटामिन b7 ग्लाइकोजन, वसीय अम्ल अमीनो अम्ल तथा प्रिमिडिन के संश्लेषण, 

वसीय अम्ल एवं कार्बोहाइड्रेट्स के अपघटन

 तथा प्रोटीन अपघटन के अपशिष्ट पदार्थों के उत्सर्जन से संबंधित एंजाइमों का सहएंजाइम होता है।

Deficiency of Vitamin B7:-

त्वचा रोग , भूख ना लगना,

बालों का झड़ना तथा कमजोरी होना।

E) Vitamin B9 or Folic acid:- 

 Sources of Vitamin B9;-   

हरी पत्तियोंदार  सब्जी (पालक), यकृत, जिगर, फलियों, गुर्दों, गुड़, सूरजमुखी के बीज   , फल आदि।

Daily requirement:- about 0.4 mg 

Function of Vitamin B9:- 

यह लाल रक्त कणिकाओं के निर्माण,

डीएनए के संश्लेषण, वृद्धि,जनन

 तथा तंत्रिका तंत्र की कार्य के लिए आवश्यक होते हैं।

Deficiency of  vitamin B9:- 

रुधिरक्षीणता(Anemia), वृद्धि कम  होना।

F) vitamin B12 or  Cyanocobalamin:- 

Source of vitamin B12:-  

     विटामिन b12  मांस मछली यकृत अंडा दूध पनीर आदि में मिलता है।

Daily requirement:- 1-3 micro gram.

Function of vitamin B12:

यह न्यूक्लिक अम्ल के संश्लेषण तथा अस्थि मज्जा में लाल रुधिर कणिकाओं के निर्माण , और

तंत्रिका तंत्र की कार्य की में भाग लेने वाले एंजाइमों  का सहएंजाइम होता है। अतः यह  वृद्धि के  लिए आवश्यक होता है।

घातक रुधिर क्षीणता  के उपचार में इसके इंजेक्शन लगाते हैं।

Deficiency of Vitamin B12:- 

इसकी कमी से तंत्रिका तंत्र के कार्य की में गड़बड़ आ जाती है,

स्मरण शक्ति कम हो जाती है और मेरुरज्जु कमजोर हो जाते हैं।


2. Vitamin "C ( ascorbic acid)"

18वीं सदी में ही सबसे पहले इसी विटामिन की खोज हुई। Function:- इसका प्रमुख कार्य ऊतकों में कोशिकाओं को परस्पर बांधे रखने वाले अंतर कोशिकीय पदार्थ(Intercelluar substence) के   मैट्रिक(metrix) ,कोलैजन तंतुओं हड्डियों के मैट्रिक्स और दातों के डेंटिन के निर्माण और रखरखाव का होता है। संभवत यह विटामिन इन पदार्थों के संश्लेषण से संबंधित अभी क्रियाओं के एंजाइम का सहएन्जाइम होता हैं। लौह उपापचय  का  नियंत्रण  करके यह लाल रक्त कणिकाओं के निर्माण में भी सहायता करता है ।

Sources of Vitamin C:- 

       नींबू, संतरे, मौसमी, टमाटर, हरी मिर्च, आवला, अमरूद, कमरख तथा हरी सब्जियों ,आलू आदि।

Deficiency of Vitamin C:

पुरातन काल से जल यात्रियों के स्कर्वी रोग से इस विटामिन का संबंध ज्ञात है कहते हैं कि वास्कोडिगामा 180 यात्रियों के साथ समुद्री मार्ग से जब सन 1498 में भारत की खोज में निकले तो भारतीय तट पर पहुंचने से पहले ही उनके 100 साथी इस रोग के शिकार हो चुके थे।

• स्कर्वी  में सबसे महत्वपूर्ण प्रभाव घाव के ना भरने का होता है ।कोलैजन तंतुओं और अंतर कोशिकीय पदार्थ की कमी से घाव को भरने में महीनों लग जाते हैं।

 •  इसरोग के दूसरे प्रभाव में हड्डी एवं दातों की वृद्धि रुक जाती है, इससे हड्डियां कमजोर हो जाती है और टूटी हड्डी का जुड़ना  कठिन हो जाता है।

•  तीसरे प्रभाव में रुधिर क्षीणता हो जाती है और रुधिर केशिकाओ  की दीवार के क्षीण हो जाने से यह फटने लगती है।इसके अतिरिक्त , शरीर की प्रतिरक्षा क्षमता और जनन क्षमता कम  हो जाती है, पेशियां फटने लगती हैं, मसूड़े फूलने और दांत गिरने लगते हैं, मसूड़ों से रक्तस्राव होने लगता हैं, तथा तीव्र ज्वर हो जाता है।

2) Fat  soluble vitamin (वसा में घुलनशील विटामिन):- 

वसा में घुलनशील विटामिन होते हैं:- Vitamin A, Vitamin D, Vitamin E & Vitamin K.


a) Vitamin A or Retinol :- 

     Source of vitamin A:- 

    दूध, पनीर, मक्खन, अंडे की जर्दी, जिगर , मछली, मछलियों के तेल , मांस, गाजर व अन्य पीली और गहरी हरी सब्जियों, लाल, पीले और नारंगी रंग के फलों तथा बेर ,संतरे आदि।

Daily requirement of Vitamin A:-

          About 600  microgram . 

Functions of vitamin A:- 

            विटामिन ए का प्रमुख कार्य दृष्टि रंगाओं(Visual pigments) के संश्लेषण में भाग लेना होता है। 

यह  शरीर- कोशिकाओं, विशेषतः एपिथीलियम कोशिकाओं में प्रोटीन संश्लेषण, हड्डियों और शरीर की वृद्धि, जनन क्षमता ,कार्बोहाइड्रेट उपापचय आदि  के लिए आवश्यक होते हैं।

Deficiency of vitamin A:- 

इसकी कमी से रतौंधी(Night blindness)  हो जाती है, तथा त्वचा, कार्निया  आदि में कोशिकाएं सूखने लगती हैं और  शल्कीभवन  हो जाता है।

b) Vitamin D or  Calciferol:- 

 जंतुओं में  दो  सक्रिय डी विटामिन होते हैं- Cholecalciferol-D3 तथा Ergocalciferol-D2।

कॉलेकैल्सिफेरॉल का संश्लेषण स्वयं जंतु शरीर में होता है संश्लेषण की प्रक्रिया जटिल होती है। सबसे पहले सूर्य प्रकाश की पराबैंगनी किरणों के प्रभाव से त्वचा कोशिकाओं में  7dehydrocholestrol नामक  पदार्थ बनता है जो विटामिन डी का निष्क्रिय रूप होता है।इसीलिए इसे प्रोविटामिन कहते हैं। त्वचा कोशिकाओं में बनकर  यह रुधिर में मुक्त हो जाता है। यकृत कोशिकाएं रुधिर से लेकर इसे 25-Hydroxycholecalciferol मैं बदलती है और वापस रुधिर में मुक्त कर देती है अंत में  वृक्को(kidneys) की वृक्क  नलिकाओं    (nephrons)  केे समीपस्थ कुंडलित भागों की कोशिकाएं 1,25 dihydroxycholecalciferol  में बदल देती है और वापस रुधिर में मुक्त कर देती है। यह पदार्थ सक्रिय विटामिन डी होता है। इसे विटामिन d3 का नाम दिया गया। इसे धूप का विटामिििन(Sunshine Vitamin) भी कहते हैं।  

Source of vitamin D:- 

        मक्खन, यकृत , अंडे की जर्दी, मछली के तेल, वृक्कों,  सूर्य की किरणें ( आर्गो कैल्सी फेरल का संश्लेषण सूर्य प्रकाश की पराबैगनी किरणों के प्रभाव से , Ergosterol नामक पदार्थ से यीस्ट कोशिकाएं करती हैं )। 

 Daily requirement of Vitamin D :- 

 2.5 -10 microgram in adults, 5 microgram in children, and 10 microgram in pregnancy and lactation.

Function of Vitamin D:- 

 विटामिन डी आहार नाल में भोजन से फास्फेट तथा कैल्सियम के अवशोषण और अस्थि निर्माण के लिए आवश्य होते हैं।

यह दांतो एवं हड्डियों के स्वास्थ्य और विकास में महत्वपूर्ण होते हैं। 

Parathormone के सामान्य रूप से सुचारू होने  में सहायक  होते हैं।

Deficiency of Vitamin D:-

   विटामिन डी की कमी से बच्चों में सूखा रोग( Rickets)  हो जाता है जिसमें हड्डियां क्षीण, लचीली और टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती हैं। वयस्को  में भी इसकी कमी से हड्डियां क्षीण  और लचीली हो जाती है इस दशा को ओस्टियोमैलैसिया (Osteomalacia)  कहते हैं।

C)  Vitamin E or Tocopherol:- 

Source of vitamin E:- 

     तेल, अनाज, हरी सब्जियां, मांस, सोयाबीन, मछलीऔर अंडे की जर्दी आदि। 

Daily requirement of Vitamin E:- 10 mg for children and 25mg for adolscent an adult.

Function of Vitamin E:- 

        इस विटामिन में तीन विटामिन ज्ञात है कोशिका कला  के लिपिड अणुओं के  अक्सीकर विघटन को रोकते हैं। यह लाल रुधिर कणिकाओं के निर्माण तथा  वायुमार्गो एवं फेफड़ों की वायु प्रदूषण से सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण होते हैं। चुहों, खरगोशों, मुर्गों में यह जनन क्षमता के लिए आवश्यक सिद्ध हुए हैं।अतः इन्हें बांझपन रोधी(antisterility)  विटामिन भी कहा गया है।

d) Vitamin k or Naphthoquinone:- 

 Source of vitamin k:-  

 हरी पत्तेदार सब्जियां, टमाटर, गोभी, सोयाबीन, पनीर, अंडे की जर्दी , यकृत आदि।

Daily requirement of Vitamin k :- 20 to 100 mg.

Function of Vitamin k:-

  यह यकृत में Prothrombin नामक पदार्थ के संश्लेषण के लिए आवश्यक होता है।  Prothrombin चोट पर रुधिर- थक्के जमने के लिए आवश्यक होता है।  इसीलिए इस विटामिन को रुधिरस्रावरोधी  कारक antiheamorrhagic  factor कहते हैं।

Deficiency of Vitamin k:

Hemorrhage ( चोट पर रक्त का थक्का जमने से अधिक रक्तस्राव होना)। 



   


Friday, August 14, 2020

Protein definition, sources & function

Hi friends keise ho aap log I hope aapko hamra pichla post aapke liye usefull raha ho,

So aaj hum protein ke baare mei discuss karenge.

protein::

  •       Protein word का उपयोग सबसे पहले  J. verjiliys ने किया था।
  •  Protien एक orgenic elements है, जो कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन,और नाइट्रोजन के अणुओं से बनता है।
  • Protein एक जटिल कार्बनिक यौगिक है, जो 20 amino acids से मिलकर बना होता है।
  • Humen body का लगभग 15%part protein से निर्मित होता है।
  • सभी protein में nitrogen पाया जाता हैं।
  • Humen body में 20 Types के protien कि need होती है, जिसमे से 10 types के कुछ protein है जिसका हमारी body  खुद संश्लेषण करता है। शेष 10types के protien हैं जो हमे भोजन के द्वारा प्राप्त होता हैं।

Structure of protien::-

Protein Structure

Types of protein

  सरल प्रोटीन (simple protein):-

वे protein जो केवल amino acids से बना हो ,सरल प्रोटीन कहलाता है।

eg:- albuminse, glwobulins,hyston .

संयुक्त प्रोटीन( compound protein):-

 वे protein जिसमे amino acids के साथ कुछ अन्य पदार्थ के अणु के साथ समूह में जुड़े रहते है ।compound protien कहलाते हैं,eg. Coromoprotein, glycoprotein ect.

व्युत्पन्न प्रोटीन::-

        वेे प्रोटीन जो nutural protein के जलीय अपघटन से बनते है,व्युत्पन्न प्रोटीन कहलाते है।eg. proteins,peptin .

Sources of protein:-

 Animal sources:-
                                 include milk, meat,egg, cheese, fish and Fowl.

Plant sources:-
          include pulses, cereals, bean's, nuts,and oilseeds.

 

Daily requirement:-


    Adult:-65-75g (about 1g/kg body weight)
Children:-2.5g/kg body weight.

 Function of protein::-


         ✓  Body  को disease के against  protect करना , eg.  Antibodies तैयार करना।

✓कुछ Minerals  का transport करना,eg. Iron and copper.

✓Body tissues को repair and maintenance करने में help करना ।

✓Body में oxygen carries करना, eg. Hemoglobin.

✓Body के regulatory function को बनाएं रखना eg: hormone like insulin.

✓Bodybuilding and उनकी growth में help करना।


Monday, July 27, 2020

Essential nutrients

Important of Nutrition in Health

 

'Nutrition it is defined as the science of food and its relationship to Health.'

"Nutrition is one of the most important factor in keeping a healthy long living body. 

पोषण क्या है ? what is Nutrition:-
अपने आप को तथा पूरे जीव शरीर को (जीवित दशा) में बनाए रखने के लिए body में प्रत्येक कोशिका(cells) में जीव पदार्थ (Biomolecules) निरन्तर टुटते और बनते रहते हैं।
इस प्रकिया को हम Metabolism कहते हैं। इसMetabolism की प्रकिया  में खपने वाले पदार्थ को कच्चे माल(RAW materials) के रूप में हम जीव मनुष्य बाहरी वातावरण से भोजन (Food )केरूप में ग्रहण करते हैं ।जिसे हम पोषण( Nutrition) कहते हैं।

  भोजन के कार्य (Function of food):-


  1. Body मेंMetabolic function को निरन्तर बनायें रखने के लिए ऊर्जा(Energy)प्रदान करना उदाहरण:-Carbohydrate ( कार्बोहाइड्रेट)and fat(वसा)
  2. Body में निरंतर हो रहे कोशिकाओं के टूट-फूट की मरम्मत करना व शारीरिक संरचना को उत्तम बनाए रखना उदाहरण:- प्रोटीन(protein)
  3. शारीरिक संरक्षण(protection) शारीरिक ऊतकों(tissues) को व्यवस्थित उनके कार्यों को सुचारू रूप से बनाए रखना। उदाहरण :-विटामिन(vitamin) और खनिज (minerals). 

पोषक पदार्थ क्या है (what are nutrients)



 हमारे द्वारा प्रतिदिन लिए जाने वाले भोजन में पाए जाने वाले रासायनिक पदार्थ (chemical substance)जो हमारे शरीर में उर्जा प्रदान , शारीरिक  वृद्धिऔर कोशिकाओं की टूट-फूट की मरम्मत करने में सहयोग करते हैं । उन्हें हम पोषक पदार्थ( nutrients) कहते हैं।

पोषक पदार्थ के प्रकार( types of Nutrients)

     
 A.  Non-Essential nutrients & 
B. Essential nutrients

1)Non-Essential nutrients- 

            बहुत सारे ऐसे पोषक पदार्थ (Nutrients)होते हैं जो हमारे body में पहले से ही पाया जाता हैं या फिर हमारी body इन्हें खुद बना सकता है।
Non essential Nutrients का meaning है कि ऐसे पोषक पदार्थ जिसे हमें बाहर से यानी भोजन से लेने की आवश्यकता नहीं है।

2). Essential nutrients:-

             कुछ ऐसे पोषक पदार्थ भी हैं जिसे हमारी body नहीं बना सकते है। या फिर बना सकते है, मगर पूरी मात्रा में नहीं, इसीलिए हमें भोज्य पदार्थो कि जरुरत होती है। ऐसे Nutrients को हम essential nutrients कहते है।
ऐसे  45  essential nutrients  है जो हमारे food  में होते हैं‌।
Essential nutrients and non essential nutrientsके बीच confused होने की जरूरत नहीं है healthy रहने के लिए हमें दोनों की ही आवश्यकता है।
Essential Nutrients   के six classes है

Nutrients and composition of food and body:-

हम जो भोजन खाते हैं उसमें हमें सभी तरह के nutrients मिल जाते हैं,
eg. हम एक सेब के nutrient composition को देखते हैं
Apple में almost 84% water होता है, बाकी के बचे part में carbohydrate proteins and lipids साथ ही कुछ मात्रा में vitamins and minerals होते हैं।
अब हम human body की बात करते है हमारी body  70% water से और 10 to 20% fat से और बाकी body parts protein and carbohydrate और कुछ मात्रा में vitamins से बना होता है, हमारी bones minerals से बनी हुई है।
इस से पता चलता है कि जिन chemical substance से body बनता है उन्हीं से food भी बनते हैं।

Six classes of essential nutrient


Essential Nutrients के six classes को हम  organic and  inorganic nutrients में भी divideकिया जा सकता है।
Organic nutrients(carban):-
                ऎसे nutrients जिनमें carbon elements पाया जाता है,
कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन और वसा में कार्बन तत्व पाया जाता है।
Inorganic nutrients(No carban):-
         ऐसे nutrients जिनमें carbon elements नहीं पाया जाता है,
मिनरल्स और पानी में कार्बन नहीं पाया जाता है।
Essential Nutrients को हम macro & micronutrients में भी divide कर सकते हैं

MacroNutrients (Need more):-

        कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, और पानी की जरूरत हमारे शरीर को अधिक होती है इसी लिए इन्हें  macronutrients  में रखते है।  "इन nutrientsको हम gram में calculate करते है"

Micro nutrients ( need less):-

     Vitamin and minerals की जरूरत हमारे शरीर को कुछ मात्रा में होती है इसलिए इसे हम micronutrients में रखते हैं।
"इन nutrients को हम mili gram या micro gram में calculate करते है।