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Thursday, September 3, 2020

Fat, function and Requierments

 FAT (वसा) 
Introduction:-
             वसा (Fat) का निर्माण माइट्रोकांड्रिया में होता है, जो Glyserol+fatty acids से एक एस्टर बनता है,उसे ही वसा (Fat )कहतेहैं।इसमें कार्बन हाइड्रोजन ऑक्सीजन विभिन्न मात्रा में मिले होते हैं। जब वसा 20 डिग्री सेल्सियस ताप पर द्रव अवस्था में हो तो तेल कहलाता है, परंतु अगर वह इसी ताप पर ठोस अवस्था में हो तो वसा कहलाता है वह समय मिलने वाले ऊर्जा कार्बोहाइड्रेट से 2 गुना अधिक होती हैं। वसा हमेशा ठोस रूप में ही पाया जाता है।
 Sources of Fat:- 
 Animal source:- दूध, घी,मक्खन , अंडे की जर्दी,  मांस, मछली ।
Plant source:-मूंगफली, सरसों का तेल, सोयाबीन, तिल का तेल,  नारियल ,बादाम , दालें आदि। 
 Daily requirement:-  
(15%-20% of total calories).
" एक महिला को प्रतिदिन 70 ग्राम और पुरुषों को 95 ग्राम और बच्चों को 70 ग्राम का सेवन करना चाहिए "। 
 Types of Fat:- 
 वसा के प्रकार निम्न है-
1-संतृप्त वसा(saturated Fat)
2-असंतृप्त वसा ( unsaturated fat)
3-ट्रांस फैटी एसिड(Trans fatty acids) 

1-संतृप्त वसा(saturated Fat):-  यह उच्च LDLस्तर 'खराब कोलेस्ट्रॉल' का सबसे बड़ा कारण होता है। इसके सेवन से बचना चाहिए जैसे मक्खन, पनीर, आइसक्रीम, क्रीम और वायु युक्त मांस, नारियल तेल, ताड़ का तेल, तेल जैसे पदार्थ में पाया जाता है।

2-असंतृप्त वसा ( unsaturated fat):- यह  रक्त कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है। इसमें कैलोरी की मात्रा काफी होती है, इसका सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए जैसे जैतून का तेल, मछली, अखरोट, सूरजमुखी, मक्का, सोयाबीन, जैसे पदार्थों में पाया जाता है।

3-ट्रांस फैटी एसिड(Trans fatty acids) :- जो वनस्पति तेल हाइड्रोजनीकरण की प्रक्रिया के दौरान सख्त हो जाता है। यह LDL के स्तर को बढ़ा सकता है और HDH अच्छे कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम कर सकता है। इसका उपयोग सीमित मात्रा में करना चाहिए जैसे:- तले हुए भोजन, बाजार की चीजें -डोनेट, कुकीज़,प्रोसेस्ड फूड्स में पाए जाते हैं।  
Function of fat:- 
   - वसा शरीर में ऊर्जा प्रदान करता है।
-त्वचा के नीचे जमा होकर शरीर के ताप को बाहर नहीं निकलने देता।
-ये Fat soluble vitamins को absorption करने में मदद करता है।
 Deficiency of  fat:- 

           इसकी कमी से-
       -   त्वचा रुखी हो जाती है।
     -  वजन कम होने लगता हैं   -शारीरिक विकास रूक जाता है।
इसकी अधिकता से-
  - शरीर स्थल हो जाता है।
-हृदय  संबंधी रोग होने लगते हैं 
-  रक्तचाप बढ़ जाता है।


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