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Tuesday, September 8, 2020

Human Skeletal system

  Human Skeletal system

शरीर को सहारा देकर इसकी आकृति बनाए रखना तथा आन्तरांगो के विन्यास को यथावत बनाए रखना और बाहरी दुष्प्रभाव से आंतरांगो की सुरक्षा करना शरीर संगठन के लिए अत्यावश्यक होते हैं।
छोटे जंतुओं में देह भित्ती से ही काफी सहारा और सुरक्षा मिल जाता है, परंतु बड़े जंतुओं में इसके लिए देह भित्ती के अतिरिक्त भी किसी ना किसी प्रकार की संरचनाओं की आवश्यकता होती है जिन्हें कंकाल रचनाएं(Skeletal Structure)  कहते हैं। 
Human Skeletal Structure
Human Skeletal Structure)

विविध प्रकार की कंकाल रचनाओं से बने दो प्रकार के कंकाल पाए जाते हैं  
1)बाहृय कंकाल     
 2)अन्तः कंकाल  
  
  1) Exoskeleton (बाहृय कंकाल):- 
  इसमें हमारे बाल अर्थात रोम और नाखून आते हैं।

 2) Endoskeleton(अन्तः कंकाल):- 
   इसमें हमारे शरीर के भीतर की अस्थि पंजर आता है जो व्यस्क मनुष्य में 206 तथा शिशुओं में 213 पृथक हड्डियों का बना होता है ।
कंकाल के अक्षीय तथा उपांगीय भागों में हड्डियों की संख्या अग्र प्रकार होती है- 
  A) Axial Skeleton(अक्षीय कंकाल):- 
   यह हमारे शरीर के अस्थि पंजर का सीधा खड़ा भाग होता है इसमें खोपड़ी एवं वक्ष भाग तथा कशेरुक दंड की व्यस्क में हंसी तथा शिशुओं में 87 हड्डियां निम्न प्रकार वितरित होती है। 
कपाल     -           8
चेहरा   -               14
कानों की अस्थियां  -    6
हाईऔइड            -1
कशेरुकाएं        -26(शिशु में 33)
उरोस्थि।          -1
पसलियां         -  24

 

B) Appendicular  :- 
 इसमें हमारे ऊपरी तथा निचले पादों अग्रांगो अर्थात हाथ पैर तथा इन्हें धड़ से जोड़ने वाली मेखलाओ की 126 हड्डियां होती हैं 
इनका वितरण निम्नलिखित होता है
१). ऊपरी अर्थात उच्च अग्रांग - 

 

अंसमेखलाएं    -‌     4

 

हाथ    -    60

 

 २).निचले अर्थात निम्न अग्रांग:-

  श्रोणि मेखलाएं    -  2

 टांगे   -    60

 

 Bones of Human Skull  

    हमारी खोपड़ी में कुल 28 हड्डियां होती हैं जिनमें से आठ मस्तिष्क के चारों और का मस्तिष्क खोल(brain case) अर्थात कपाल(carnium) बनाती हैं। जिसकी गुहा को कपालिय गुहा(cranial cavity) कहते है। शेष हड्डियों में से 14  हड्डियां हमारे चेहरे(face) का कंकाल बनाती हैं तथा 6 मध्य कानों में  कणॆ अस्थिकाएं  होती है कपाल गुहा के अतिरिक्त खोपड़ी में विशिष्ट संवेदा़गो(special sensory organ)  के लिए अन्य छोटी-छोटी गुहाएं भी होती हैं।  खोपड़ी की कुछ हड्डियों( frontal, sphenoid, ethmoid, maxlliry) मैं हवा से भरे छोटी-छोटी गुहाए होती हैं   जिन्हें परानासिक कोटर(paranasal sinuses) कहते हैं। इनके अतिरिक्त खोपड़ी की हड्डियों में तंत्रिकाओं तथा रुधिर वाहिनियों के आने-जाने के लिए छिद्र होते हैं। पूर्ण खोपड़ी में निचले जबड़े में मैंडीबल हड्डी(mandible bone) तथा   कानो की अस्थिकाएं चल(movable) होती  हैं,  शेष सब अचल(immovable) मस्तिष्क तथा विशिष्ट संवेदा़गो की सुरक्षा करने के अतिरिक्त, खोपड़ी, पाचन ,तथा स्वसन तंत्र के प्रवेश मार्ग बनाती हैं तथा उन पेशियों को संधि स्थान प्रदान करती हैं जिनकी सहायता से हम सिर के चल भागों को हिलाते डुलाते  है और चेहरे से डर, क्रोध, खुशी, दुख, आश्चर्य आदि भावनाओं की अभिव्यक्ति(expression) करते हैं। 
खोपड़ी की विभिन्न हड्डियो का विवरण निम्न है-

  



 

Hyoid Bone

 यह U के आकार की (U shaped) बहुत गतिशील हड्डी होती  है जो हमारी गर्दन में mendible और neck के बीच में जिव्हा के नीचे स्थित रहती है । यह अक्षीय कंकाल की इसीलिए एक अव्दितीय  हड्डी होती है कि यह किसी अन्य हड्डी से संधित नहीं होती ;केवल ligaments तथा muscles द्वारा temporal bone के स्टाइलाॅएड पर्वर्धो से जुड़ी होती हैं। यह जिव्हा को सहारा देती हैं। जिव्हृा ,कण्ठ, गर्दन,ग्रसनी की गतियों से संबंधित कुछ पेशियों इसी से जुड़ी होती है  

हाइऔइड में एक क्षैतिज काय होती है और इसमें दोनों और निकले  एक-एक  जोड़ी श्रृंग (horns or cornua: एकवचन- cornu)।  प्रत्येक और एक बड़ा श्रृंग(greater cornu) होता है तथा एक काफी छोटा सा श्रृंग (Lesser cornu)। 
Hyoid bone
HYOID BONE 


Ear or Auditory Ossicles:- 
 हमारे प्रत्येक मध्य कानों में एक दूसरे के आगे जुड़ी तीन छोटी-छोटी हड्डियां होती हैं यह कान के पर्दे(Ear drum)  से अंतःकरण की ओर क्रमशः Malleus, incus,तथा stapes होती हैं।  स्टैपीज शरीर की सबसे छोटी हड्डी है।

 कशेरुक दण्ड (Vertebral column or Bakebone) 

 

           उरोस्थि ( sternum), पसलियों तथा कशेरूक दण्ड हमारी गर्दन एवं धड़ का कंकाल बनाती  हैं। कशेरुक दंड हमारी पीठ की मध्य रेखा में सिर से धड़ तक फैली , पुरषों में लगभग 71cm, परन्तु स्त्रियों में लगभग 61cm लंबी , अस्थिये संरचना होती हैं जो प्रायः पीठ की त्वचा से ढंकी सतह पर उभरी हुई दिखाई देती हैं। इसे मेरुदंड या रीढ़ की हड्डी( spine) भी कहते है।  
इसी पर हमारा शरीर सधा होता है और इसी से मेरुरज्जु (spine cord)  सुरक्षित बंद रहती है इसके अतिरिक्त यह पसलियों को जोड़ने की स्थान तथा पादों की  मेखलाओं को सहारा देती है इसी से हमारी पीठ की पेशियां जुड़े रहते हैं जिसके कारण हम धड़ को आगे पीछे या  पाश्वो में कुछ सीमा तक  झुका और घुमा सकते हैं। 
 कशेरुक दंड एक ही दंड नुमा हड्डी कि नहीं वरन् एक दुसरे के पीछे जुड़े 26 ( शिशुओ में 33) छोटी -छोटी हड्डीयों की बनी होती है जिन्हें कशेरुकाएं कहते हैं इनका वितरण निम्न प्रकार होता है- 
 गर्दन में  - ग्रीवा कशेरुकाएं(Cervical vertebrae)-7

 वक्ष भाग में  - वक्षीय कशेरुकाएं ( Thoracic vertebrae)-12 

 कटि भाग में  - कटि कशेरुकाएं (Lumber vertebrae)-5 

 त्रिक  भाग में - त्रिकास्थि (sacrum) -1 (शिशुओं में 5 कशेरुकाएं)

श्रोणि भाग में   - अनुत्रिक (cocoyx)-1 ( शिशुओं में  4 कशेरुकाएं)
 


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