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Tuesday, September 1, 2020

 Vitamina ( विटामिन) 
सामान्य परिचय (General Introduction)

 Micronutrients minerals की तरह विटामिनों की भी बहुत ही सूक्ष्म मात्रा मिलीग्राम या माइक्रोग्राम में हमारे शरीर के सामान उपापचय मेटाबॉलिज्म के लिए अत्यावश्यक होती है यदि ऊर्जा प्रदान नहीं करते लेकिन अन्य ईंधन पदार्थों के संश्लेषण एवं सही उपयोग का नियंत्रण करते हैं ‌।
18 वीं सदी में Rickets के उपचार के लिए  काड मछली के तेल का तथा स्कर्वी रोग से बचाव के लिए ताजा फलों एवं सब्जियों का उपयोग आवश्यक बताया जाता था।
सन 1881 में  N.I.Lunin ने  विटामिन की खोज की और बताया कि स्वास्थ्य शरीर के लिए भोजन में अन्य पदार्थों के अतिरिक्त अज्ञात पदार्थों का भी सूक्ष्म मात्रा में होना आवश्यक होता है इसके बाद सन 1897 में Eijkman ने  लूनिन के खोज का समर्थन किया और पता लगाया कि बेरी बेरी का रोग आहार में पॉलिश किए गए चावल का अधिक उपयोग करने से होता है  ।  इन सभी के आधार पर Hopkins and Funk ने , सन् 1912  में vitamin theory को प्रस्तुत किया और इसमें बताया कि ऐसा प्रत्येक रोग आहार में किसी ना किसी विशेष विटामिन की कमी से होता है। फुन्क ने तो चावल की छीलन से  पहली बार बेरी बेरी रोग को उत्पन्न होने से रोकने वाले ऐसे पदार्थ को पृथक भी किया। उन्होंने इस पदार्थ के लिए सन 1912 में सर्वप्रथम विटामिन"(vita =life; amine=essential)" नाम  का उपयोग किया। 
यह अन्य पदार्थों से कुछ सरल कार्बनिक योगिक होते हैं।

विटामिन या तो स्वयं उपापचयी उत्प्रेरको अर्थात (Metabolic enzymes) के (Coenzymes) का काम करते हैं या सहएंजाइमों के संयोजन (composition) में भाग लेते हैं किस प्रकार के उपापचयी अभी क्रियाओं में उत्प्रेरको की क्रियाओं का नियंत्रण करते हैं। 

  Vitamins को उनकी घुलनशीलता के आधार पर दो प्रमुख श्रेणियों में बांटा गया है। 

A) water soluble vitamins (जल में घुलनशील विटामिन) 

B) Fat soluble vitamins (वसा में घुलनशील विटामिन)

A) WATER SOLUBLE VITAMINS  :-   

 जल में घुलनशील विटामिन होते हैं (Vitamin B and Vitamin C)।  

  जल में घुलनशील विटामिन की आवश्यकता से अधिक मात्रा का  अपशिष्ट पदार्थों के रुप में  उत्सर्जन होता रहता है। अतः शरीर में इनका विशेष संचय नहीं होता और इन प्रतिदिन भोजन से ग्रहण करना आवश्यक होता है।

1)  VITAMIN " B - complex" :- 

  सर्वप्रथम ज्ञात विटामिन , जिस funk ने 1912 में चावल की छीलन से पृथक किया जल में घुलनशील और नाइट्रोजन युक्त था उन्होंने इसे Vitamin B  का नाम दिया।   बाद में लगभग 10 ऐसे ही विटामिन की खोज हुई और इन सबको  B Complex  का सामूहिक नाम दे दिया गया।   उपापचय में सती भाग लेने वाले सहएंजाइमों(Coenzymes)  का प्रमुख अंश यही विटामिन बनाते हैं।

प्रमुख Vitamin B Complex  निम्नलिखित होते हैं; 

A) Vitamin B१ or Thiamine :-  

                   इसी विटामिन को funk ने  सन 1912 में चावल की छीलन से तैयार किया था, लेकिन विशुद्ध रूप में इसे सन 1934 में विलियम्स(Williams)  ने पृथक किया।  शीघ्र ही विलियम्स ने इसकी आण्विक संरचना ज्ञात करके इसका सन 1937 में कृत्रिम संश्लेषण किया।  जैन्सन(Jansen,1949) ने इसकी शुद्ध रवे (Crystals)  तैयार किए।   

Sources of Vitamin B1:-   दूध, हरी सब्जियों, अनाज के छिलकों, आलू , यीस्ट, मांस, मेवा, सोयाबीन, मछली ,अंडे  इत्यादि ।

Daily requirement:- 1.2-1.8 mg

 Function of of Vitamin B1:- 

✓ यह कार्बोहाइड्रेट तथा  वसाओं के आक्सीकर उपापचय मैं कार्बनिक पदार्थों से कार्बन डाइऑक्साइड हटाने वाली अभी क्रियाओं को प्रेरित करने वाले एंजाइमों अर्थात Cocarboxylase एंजाइमो के सहएजाइमों  का घटक होता हैं।

✓ यह तंत्रिकाओं पेशियो और हृदय की कार्यकी के लिए आवश्यक होता है।

Deficiency of Vitamin B1 

•    विटामिन की कमी से तंत्रिका तंत्र और पेशियों का कार्य बिगड़ जाता है जिससे अंगघात अर्थात  लकवे  तक की आशंका हो सकती है ।

•ह्रदय पेशियो  के क्षीण हो जाने से दिल की धड़कन बंद हो सकती है। 

•अपच एवं कब्ज हो सकते हैं, इन्हीं तीनों लक्षणों को सामूहिक रूप से बेरी बेरी का  रोग कहते हैं।

B) Vitamin B2 or Riboflavin:- 

    इस  विटामिन की खोज सन 1935 में  हुई जब इसे दूध से निकाला गया। यह गहरे पीले रंग का  ऑक्सीकर उपापचय (Metabolism) अर्थात  अपचय(Catabolism)  मे भाग लेने वाले Coenzymes , FAD तथा FMN,  का घटक होता हैं।  

Sources of Vitamin B2:- 

 पनीर, अंडा ,यीस्ट , टमाटर, हरी पत्तेदार सब्जियां, यकृत, मांस, दूध  इत्यादि। 

 Daily requirement:- about 1-8 mg .

Function of Vitamin B2:- 

     विटामिन b2 स्वास्थ्य तथा वृद्धि  के लिए आवश्यक होता है।

यह एड्रीनल ग्रंथियों में हारमोंस के संश्लेषण के लिए भी आवश्यक होता है।

यह स्वास्थ्य  त्वचा और  ऊतकों को व्यवस्थित रखता है।

Deficiency of   vitamin B2 :- 

Vitamin B2 की कमी से मुंह के कोण फट जाते हैं किलोसिस (Cheilosis)।

कमजोर  पाचन शक्ति , त्वचा व  आंखों में जलन, सिर दर्द, 

दिमागी क्षीणता, रुधिर क्षीणता, 

होंठों और नासिका पर पपड़ीदार त्वचा  आदि ‌।

C) Vitamin B 3 or Niacin:-  

 Source of vitamin B3:- 

  ताजा मांस, जिगर, मछली, अंडे, यीस्ट , अनाज, दूध, मटर, मेवा ,फलों आदि।

Daily requirement:- about 12 -  20 mg. 

Function of Vitamin B3:- 

 ✓  विटामिनb3 आक्सीकर उपापचय में भाग लेने वाले NAD तथा NADP नामक सहएन्जाइमों का  सक्रिय घटक होता है।

 ✓ पाचन एवं तंत्रिका तंत्र की  कार्यिकी , 

✓ त्वचा की सुरक्षा तथा लिंग हारमोंस के स्त्रावण  में इस का महत्व पूर्ण योगदान होता है।

D) Vitamin B5 or Pantothenic Acid :- 

 Source of vitamin B5 

  विटामिन B5 लगभग सभी खाद्य पदार्थों में होता है । परंतु यकृत ,गुर्दों , अंडे ,मांस, दूध, मूंगफली, गन्ने, अनाज, शकरकंदी , यीस्ट आदि में अधिक पाया जाता है।

Daily requirement:- 

Function of vitamin B5:- 

यह सभी प्रकार के पोषक पदार्थों के ऑक्सीकर उपापचय अर्थात अपचय में भाग लेने वाले महत्वपूर्ण सहएंजाइम का घटक होता है । 

एड्रिनल ग्रंथियों की स्त्रावण  क्रिया,

 सामान्य वृद्धि एवं विकास कथा तंत्रिका तंत्र की कार्य के लिए भी यह महत्वपूर्ण होता है।

 Deficiency of vitamin B5:- 

 चर्म रोग , मंदबुद्धि, थकावट, सिर दर्द,

 बाल सफेद होना, जनन क्षमता कम होना, हाथ पैरों में सुन्नता आदि

E)  Vitamin B6 or Pyridoxine:- 

Function of Vitamin B6:

    विटामिन बी 6 अमीनो अम्ल के उपापचय मैं महत्वपूर्ण भाग लेने वाले एंजाइमों का सहएंजाइम होता है।

लाल रक्त कोशिकाओं एवं प्रतिरक्षी प्रोटींस के बनने तथा पाचन एवं तंत्रिका तंत्रों की कार्य की में  इसका विशेष महत्व होता है। 

Source of vitamin B6:- 

 दूध, मांस, अनाज,   मछली ,जिगर ,केले , आलू, मेवे, यीस्ट  आदि।

   Daily requirement:- about 2 mg । 

Deficiency  ofVitamin B6:- 

 इसकी कमी से एनीमिया(Anemia), चर्म रोग(Dermatitis), कमजोरी, मतली,  पथरी, पेशिय ऐंठन (Convulsions) आदि।

F) Vitamin  B7 or  Biotin:- 

    Sources of Vitamin B7:

 सब्जी ,फल, गेहूं  केला अंगूर तरबूज चॉकलेट अंडे मूंगफली जिगर मांस यीस्ट इत्यादि। 

Daily requirement

 Function of Vitamin B7:- 

विटामिन b7 ग्लाइकोजन, वसीय अम्ल अमीनो अम्ल तथा प्रिमिडिन के संश्लेषण, 

वसीय अम्ल एवं कार्बोहाइड्रेट्स के अपघटन

 तथा प्रोटीन अपघटन के अपशिष्ट पदार्थों के उत्सर्जन से संबंधित एंजाइमों का सहएंजाइम होता है।

Deficiency of Vitamin B7:-

त्वचा रोग , भूख ना लगना,

बालों का झड़ना तथा कमजोरी होना।

E) Vitamin B9 or Folic acid:- 

 Sources of Vitamin B9;-   

हरी पत्तियोंदार  सब्जी (पालक), यकृत, जिगर, फलियों, गुर्दों, गुड़, सूरजमुखी के बीज   , फल आदि।

Daily requirement:- about 0.4 mg 

Function of Vitamin B9:- 

यह लाल रक्त कणिकाओं के निर्माण,

डीएनए के संश्लेषण, वृद्धि,जनन

 तथा तंत्रिका तंत्र की कार्य के लिए आवश्यक होते हैं।

Deficiency of  vitamin B9:- 

रुधिरक्षीणता(Anemia), वृद्धि कम  होना।

F) vitamin B12 or  Cyanocobalamin:- 

Source of vitamin B12:-  

     विटामिन b12  मांस मछली यकृत अंडा दूध पनीर आदि में मिलता है।

Daily requirement:- 1-3 micro gram.

Function of vitamin B12:

यह न्यूक्लिक अम्ल के संश्लेषण तथा अस्थि मज्जा में लाल रुधिर कणिकाओं के निर्माण , और

तंत्रिका तंत्र की कार्य की में भाग लेने वाले एंजाइमों  का सहएंजाइम होता है। अतः यह  वृद्धि के  लिए आवश्यक होता है।

घातक रुधिर क्षीणता  के उपचार में इसके इंजेक्शन लगाते हैं।

Deficiency of Vitamin B12:- 

इसकी कमी से तंत्रिका तंत्र के कार्य की में गड़बड़ आ जाती है,

स्मरण शक्ति कम हो जाती है और मेरुरज्जु कमजोर हो जाते हैं।


2. Vitamin "C ( ascorbic acid)"

18वीं सदी में ही सबसे पहले इसी विटामिन की खोज हुई। Function:- इसका प्रमुख कार्य ऊतकों में कोशिकाओं को परस्पर बांधे रखने वाले अंतर कोशिकीय पदार्थ(Intercelluar substence) के   मैट्रिक(metrix) ,कोलैजन तंतुओं हड्डियों के मैट्रिक्स और दातों के डेंटिन के निर्माण और रखरखाव का होता है। संभवत यह विटामिन इन पदार्थों के संश्लेषण से संबंधित अभी क्रियाओं के एंजाइम का सहएन्जाइम होता हैं। लौह उपापचय  का  नियंत्रण  करके यह लाल रक्त कणिकाओं के निर्माण में भी सहायता करता है ।

Sources of Vitamin C:- 

       नींबू, संतरे, मौसमी, टमाटर, हरी मिर्च, आवला, अमरूद, कमरख तथा हरी सब्जियों ,आलू आदि।

Deficiency of Vitamin C:

पुरातन काल से जल यात्रियों के स्कर्वी रोग से इस विटामिन का संबंध ज्ञात है कहते हैं कि वास्कोडिगामा 180 यात्रियों के साथ समुद्री मार्ग से जब सन 1498 में भारत की खोज में निकले तो भारतीय तट पर पहुंचने से पहले ही उनके 100 साथी इस रोग के शिकार हो चुके थे।

• स्कर्वी  में सबसे महत्वपूर्ण प्रभाव घाव के ना भरने का होता है ।कोलैजन तंतुओं और अंतर कोशिकीय पदार्थ की कमी से घाव को भरने में महीनों लग जाते हैं।

 •  इसरोग के दूसरे प्रभाव में हड्डी एवं दातों की वृद्धि रुक जाती है, इससे हड्डियां कमजोर हो जाती है और टूटी हड्डी का जुड़ना  कठिन हो जाता है।

•  तीसरे प्रभाव में रुधिर क्षीणता हो जाती है और रुधिर केशिकाओ  की दीवार के क्षीण हो जाने से यह फटने लगती है।इसके अतिरिक्त , शरीर की प्रतिरक्षा क्षमता और जनन क्षमता कम  हो जाती है, पेशियां फटने लगती हैं, मसूड़े फूलने और दांत गिरने लगते हैं, मसूड़ों से रक्तस्राव होने लगता हैं, तथा तीव्र ज्वर हो जाता है।

2) Fat  soluble vitamin (वसा में घुलनशील विटामिन):- 

वसा में घुलनशील विटामिन होते हैं:- Vitamin A, Vitamin D, Vitamin E & Vitamin K.


a) Vitamin A or Retinol :- 

     Source of vitamin A:- 

    दूध, पनीर, मक्खन, अंडे की जर्दी, जिगर , मछली, मछलियों के तेल , मांस, गाजर व अन्य पीली और गहरी हरी सब्जियों, लाल, पीले और नारंगी रंग के फलों तथा बेर ,संतरे आदि।

Daily requirement of Vitamin A:-

          About 600  microgram . 

Functions of vitamin A:- 

            विटामिन ए का प्रमुख कार्य दृष्टि रंगाओं(Visual pigments) के संश्लेषण में भाग लेना होता है। 

यह  शरीर- कोशिकाओं, विशेषतः एपिथीलियम कोशिकाओं में प्रोटीन संश्लेषण, हड्डियों और शरीर की वृद्धि, जनन क्षमता ,कार्बोहाइड्रेट उपापचय आदि  के लिए आवश्यक होते हैं।

Deficiency of vitamin A:- 

इसकी कमी से रतौंधी(Night blindness)  हो जाती है, तथा त्वचा, कार्निया  आदि में कोशिकाएं सूखने लगती हैं और  शल्कीभवन  हो जाता है।

b) Vitamin D or  Calciferol:- 

 जंतुओं में  दो  सक्रिय डी विटामिन होते हैं- Cholecalciferol-D3 तथा Ergocalciferol-D2।

कॉलेकैल्सिफेरॉल का संश्लेषण स्वयं जंतु शरीर में होता है संश्लेषण की प्रक्रिया जटिल होती है। सबसे पहले सूर्य प्रकाश की पराबैंगनी किरणों के प्रभाव से त्वचा कोशिकाओं में  7dehydrocholestrol नामक  पदार्थ बनता है जो विटामिन डी का निष्क्रिय रूप होता है।इसीलिए इसे प्रोविटामिन कहते हैं। त्वचा कोशिकाओं में बनकर  यह रुधिर में मुक्त हो जाता है। यकृत कोशिकाएं रुधिर से लेकर इसे 25-Hydroxycholecalciferol मैं बदलती है और वापस रुधिर में मुक्त कर देती है अंत में  वृक्को(kidneys) की वृक्क  नलिकाओं    (nephrons)  केे समीपस्थ कुंडलित भागों की कोशिकाएं 1,25 dihydroxycholecalciferol  में बदल देती है और वापस रुधिर में मुक्त कर देती है। यह पदार्थ सक्रिय विटामिन डी होता है। इसे विटामिन d3 का नाम दिया गया। इसे धूप का विटामिििन(Sunshine Vitamin) भी कहते हैं।  

Source of vitamin D:- 

        मक्खन, यकृत , अंडे की जर्दी, मछली के तेल, वृक्कों,  सूर्य की किरणें ( आर्गो कैल्सी फेरल का संश्लेषण सूर्य प्रकाश की पराबैगनी किरणों के प्रभाव से , Ergosterol नामक पदार्थ से यीस्ट कोशिकाएं करती हैं )। 

 Daily requirement of Vitamin D :- 

 2.5 -10 microgram in adults, 5 microgram in children, and 10 microgram in pregnancy and lactation.

Function of Vitamin D:- 

 विटामिन डी आहार नाल में भोजन से फास्फेट तथा कैल्सियम के अवशोषण और अस्थि निर्माण के लिए आवश्य होते हैं।

यह दांतो एवं हड्डियों के स्वास्थ्य और विकास में महत्वपूर्ण होते हैं। 

Parathormone के सामान्य रूप से सुचारू होने  में सहायक  होते हैं।

Deficiency of Vitamin D:-

   विटामिन डी की कमी से बच्चों में सूखा रोग( Rickets)  हो जाता है जिसमें हड्डियां क्षीण, लचीली और टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती हैं। वयस्को  में भी इसकी कमी से हड्डियां क्षीण  और लचीली हो जाती है इस दशा को ओस्टियोमैलैसिया (Osteomalacia)  कहते हैं।

C)  Vitamin E or Tocopherol:- 

Source of vitamin E:- 

     तेल, अनाज, हरी सब्जियां, मांस, सोयाबीन, मछलीऔर अंडे की जर्दी आदि। 

Daily requirement of Vitamin E:- 10 mg for children and 25mg for adolscent an adult.

Function of Vitamin E:- 

        इस विटामिन में तीन विटामिन ज्ञात है कोशिका कला  के लिपिड अणुओं के  अक्सीकर विघटन को रोकते हैं। यह लाल रुधिर कणिकाओं के निर्माण तथा  वायुमार्गो एवं फेफड़ों की वायु प्रदूषण से सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण होते हैं। चुहों, खरगोशों, मुर्गों में यह जनन क्षमता के लिए आवश्यक सिद्ध हुए हैं।अतः इन्हें बांझपन रोधी(antisterility)  विटामिन भी कहा गया है।

d) Vitamin k or Naphthoquinone:- 

 Source of vitamin k:-  

 हरी पत्तेदार सब्जियां, टमाटर, गोभी, सोयाबीन, पनीर, अंडे की जर्दी , यकृत आदि।

Daily requirement of Vitamin k :- 20 to 100 mg.

Function of Vitamin k:-

  यह यकृत में Prothrombin नामक पदार्थ के संश्लेषण के लिए आवश्यक होता है।  Prothrombin चोट पर रुधिर- थक्के जमने के लिए आवश्यक होता है।  इसीलिए इस विटामिन को रुधिरस्रावरोधी  कारक antiheamorrhagic  factor कहते हैं।

Deficiency of Vitamin k:

Hemorrhage ( चोट पर रक्त का थक्का जमने से अधिक रक्तस्राव होना)। 



   


Friday, August 21, 2020

What is Blood?, Composition & function of Blood.

रक्त क्या हैं (what  is Blood) :-

 

Blood एक fluid connective tissue है,  connective tissues वे tissue है जो किसी organ या  cells को जोड़  कर रखता है जैसे :- bones को bones से, skin को  skin से ….

ठीक उसी तरह से ब्लड  है , blood fluid  की तरह होता है इसलिए  इसे fluid connective tissues कहते हैं।

 रक्त की  भौतिक विशेषताएं (Physical characteristics):-
   - blood पानी की तुलना मे अधिक चिपचिपा सा होता है।

-blood का pawer of hydrogen (pH)  लगभग 7.35-7.45 तक होता है।

-Blood का तापमान   लगभग 38°c   होता है।

-Blood quantity:- Body weight का 8% यानि 4 to 6 litre तक blood  हमारे समान्य रुप से  शरीर मे  पाया जाता हैं।
-Female में blood की मात्रा  male के according 1/2 litre कम पाया जाता हैं
Composition of blood

 Blood  plasma55% (liquid portion)& formed elements45% से मिल कर बना होता हैं।
  plasma:- 
   हमारे रक्त में 55%plasma (liquid portion)   होता हैं।
 जो कि  90%water &10% solute (protein,  Salt,and glucose ) जैसे  कई जटिल पदार्थों से  मिल कर  बना होता हैं
यह रक्त का,  हल्के पीले रंग और हल्का सा क्षारीय,साफ,पारदर्शी एवं निर्जिव Intercelluar Matrix होता हैं।
Function of plasma:
 •पचे हुए भोजन  एवं हार्मोन्स का शरीर में संवहन करना ।
•body temperature को नियंत्रित रखना ।
•घावो को भरने का कार्य करना ।
Serum: जब हम plasma में से fibrinogen नामक प्रोटीन को निकाल देते  हैं,  तो शेष बचे plasma को serum कहते हैं।
 

Formed elements

  55% plasma के साथ 45%formed elements(blood cell) blood में होता है
Formed elements(blood cell)  - 

Red blood cell (RBC),

 white blood cell (WBC),

& platelet से बनता है।

Types of blood cell::-

1) Red blood cell ( RBC):


 -scienctific name:- Erythrocytes है
Structure of RBC::-
RBC का shape bioconcave discs जैसा  होता है।  इनमें केंद्रक  नही होता। इनके प्रारंभक
 विकास के समय तो केंद्रक होता हैं,परन्तु बाद में   केंद्रक के साथ- साथ  mitochondria, Golgi body, division part, ribosomes आदि अन्य प्रमुख कोषिकांग समाप्त हो जाते हैं। उभयावतल (biconcave) shape के floorspace में hemoglobin नामक गोलाकर रंगा युक्त प्रोटीन   भरा होता है । 
RBC का निर्माण   bone marrow (अस्थि मज़्जा)  में होता हैं।  Blood में RBC की quantity अधिक मात्रा में पाया जाता है,  एक healthy adult humen में 4.8-5-4 million RBCs)micro littre  of blood होता हैं। RBC का जीवनकाल (life-span) 20 to 120 day's होता हैं।
इसकी मृत्यु (death) spleen &liver में होता है
   "Embryo में RBC का निर्माण spleen &liver में ही होता हैं"।

Function of RBC:-


•Red blood cell   शरीर के हर cell में oxygen पहुंचाने का  और carbon dioxide को वापस  लाने का काम करता है।

 -"RBC में hemoglobin नामक प्रोटीन पाया जाता है जिसके कारण रक्त का रंग लाल होता हैं"

   Hemoglobin 

 Hemoglobin  का निर्माण  

Heme+ globin= hemoglobin (Hb) 

 Heme  एक Iron (Fe2+) है, और globin  एक protein है ।
 Iron की उपस्थति  से blood का रंग लाल होता है तथा  protein के द्वारा blood O2 and CO2  carry out कर पाता हैं।
  जब शरीर में हीमग्लोबिन की कमी होती हैं तो एनेमिया और पीलिया  जैसी बिमारी होती है।
और यदि  इनकी मात्रा  अधिक बढ़ जाए तो  polycythemia रोग हो जाता हैं। 

   2)White blood cell (WBC):-


scienctific name:- Leucocytes 

WBC  RBC से आकार में बड़े किन्तु बहुत कम संख्या में blood में (total blood के 0.1%) ही होते हैं, रंगहीन और  Nucleated  रूप मे होते है। इनका कोई स्थाई shape नहीं होता, ये   Amoeba की भांति mobilezd होते रहते हैं।
इनका निर्माण Bone marrow,lymph node and कभी कभी spleen and liver में भी होता हैं। 
इनका life span -total 2 to 4 days होता हैं।
और death blood में ही हो जाता है । 
ये RBC के अनुपात में 600:1 के बराबर होता हैं।
Function of WBC:-
 1)  इनका प्रमुख कार्य शरीर को रोगों के संक्रमण से बचाना तथा immune system को बढ़ाना है।

2 )इन्हींशरीर का रक्षक बॉडीगार्ड भी कहा जाता है।
3)WBC  की help से घाव जल्दी भर जाते हैं।

4)WBC का सबसे अधिक भाग 60 से 70 % Neutrophils से बना होता है Neutrophils cells  pathogens and bacteria का भक्षण करती है।
Types of WBC:-



 WBC को दो प्रमुख श्रेणी में  विभाजित किया गया है। 1)Granulocytes and 2)Agranulocytes.

 1) Granulocytes:-

      ये 10से 15 micro तक व्यास के, गोल से , परंतु सक्रिय रूप से ( amoeboid) अर्थात विचरण शील होते हैं , इनके कोशिका द्रव्य में अनेक कणिकाएं होती है ।
यह निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं:-

a) Eosinophils
b) Basophils
c) Neutrophils

a):- Eosinophils:-  ये  WBC में 2 से 4 %तक (70-300/cubic mm blood) होता हैं, इनके द्रव्य में बड़ी-बड़ी पाचन एंजाइम युक्त कणिकाएं होती हैं जो अम्लीय रंगों (acidic stains), विशेषतः  (eosin) का रंग लेती हैं।
यह blood cell  शरीर की प्रतिरक्षण, एलर्जी , अतिसंवेदनशीलता में महत्त्वपूर्ण  कार्य करते हैं।

b) Basophils:- ये WBC की कुल संख्या का 0.5-2%(35-150/cubic mm blood) होते हैं। इनकी कणिकाएं अधिक बड़ी परंतु संख्या में कम 10 से 100 होती हैं ,ये क्षारीयो रंगो (basic stains), जैसे Methylene  blue का रंग लेती हैं ।  इनकी कणिकाओं में  histamine, heparin, and serotonin नामक पदार्थ होता है। इन पदार्थों का स्राव क्षतिग्रस्त संयोजी ऊतकों की मास्ट कोशिकाएं भी करती हैं । सम्भवतः ये blood cell blood में mast cell के ही प्रतिनिधी होते हैं। यह tissue में inflamation को बढ़ावा देते हैं ।

c):- neutrophils:-   WBC में इन्हीं की संख्या सबसे अधिक( 60 से 70% 4 से 5000 प्रति क्यूबिक मिमी  रुधिर) होती है। यही सबसे अधिक सक्रिय WBC होते हैं यह सभी रंगों का रंग लेती हैं तथा लाइसोसोम की भांति पाचन एंजाइमों से भरी होती हैं।  Female में कुछ neutrophils के  केंद्र से एक सूक्ष्म गोला सा पिंड जुड़ा होता है जिसे ड्रमस्टिक (drumstick) कहते हैं  यह  Baar-body  की  भांति एक x -गुणसूत्र के रूपांतरण से बनता है। 
2):-Agranulocytes:-

यह थोड़ी सी नीली कणिकाएं होती है, इनका केंद्रक गोल या थोड़ा कटा हुआ सा होता है इसलिए इन्हें  Monu nuclear blood cell  भी कहते हैं। 
यह दो प्रकार के होते हैं:-
A) Lymphocytes and B) Monocytes

A):- Lymphocytes-  यह सबसे छोटे (6- 16 माइक्रो डायमीटर के)   WBC परंतु संख्या में अधिक
 (  WBC  के संख्या का 20 से 30% 1.5 से 2.5 हजार /cubic mm blood)  होते हैं। इनका केंद्र बड़ा और गोल सा होता है। कोशिका द्रव बहुत कम होता है, इनमें भ्रमण की क्षमता  कम होती है। इनका प्रमुख कार्य शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं में रोगाणुओं को नष्ट करने वाली प्रतिरक्षी प्रोटींस (antibodies) का संश्लेषण  करने का होता है ।
जिसकी  खोज सन 1891 में नोबेल पुरस्कार (1901) विजेता  Emil von Behring ने की। 
लिंफोसाइट्स को दो प्रकारों में बांटा गया है:-
  B-lymphocytes तथा T-lymphocytes.

B-Lymphocytes से plasma cells बनती  है  जिनसे प्रतिरक्षी प्रोटीन (antibodies )उत्पन्न होती हैं।और 
 T-Lymphocytes की   शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र में मुख्य भूमिका होती है।

B)Monocytes:- यह संख्या में कम(WBC  की कुल संख्या का 2 से 10%- 200 से 700/cubic mm blood) परंतु सबसे बड़े 12 से 20 माइक्रो डायमीटर के होते हैं। इनका केंद्र बड़ा और अर्धचंद्राकार सा होता है , यह सक्रिय भ्रमणएवं भक्षण क्रिया अर्थात phagocytosis  करते हैं अकसर ये  ऊत्तक  द्रव्य में जाकर मैक्रोफेजेज में बदल जाते हैं ।और जीवाणु आदि का भक्षण कर के शरीर की सुरक्षा करते हैं।

Platelet:-


 scienctific name:- Thrombocytes
 ये  सिर्फ  स्तनधारियों (mammal) के blood में होता हैं humen में इनकी संख्या 2से 5 लाख़/cubic mm blood होती हैं । 
 यह अति सूक्ष्म (2 से 4 माइक्रो व्यास की) केंद्र विहीन तथा संकुचन शील  गोलाकार होता है ।इनमे केंद्रक नहीं होता। केवल DNA ही होता है,
 इनका निर्माण bone marrow( यह bone marrow के कुछ cells के टूटने  से बने टुकडों  के रूप मे) होता है,
 इनका  जीवनकाल 2-5 days तक ही होता हैं उसके बाद स्वतः   नष्ट हो जाते हैं।
 इनकी मृत्यु  spleen  में होती है।

Function of platelet:-

-  प्लेटलेट का प्रमुख कार्य रक्त का थक्का (cloting)   बनाना हैं।

- चोट या घाव पर फटी हुई रक्त वाहिनी या केशिका से जैसे ही रक्त प्लेटलेट्स निकलकर बाहरी वायु यह पदार्थों के संसर्ग में आती है,  यह स्वयं टूट कर रक्त के जमने में सहायता करते हैं। इससे रक्त वाहिनी के  कटे सिरे पर रक्त स्राव रुक जाता है। 

-शरीर में उपलब्ध हारमोंस और प्रोटींस उपलब्ध कराना होता है

Friday, August 14, 2020

Protein definition, sources & function

Hi friends keise ho aap log I hope aapko hamra pichla post aapke liye usefull raha ho,

So aaj hum protein ke baare mei discuss karenge.

protein::

  •       Protein word का उपयोग सबसे पहले  J. verjiliys ने किया था।
  •  Protien एक orgenic elements है, जो कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन,और नाइट्रोजन के अणुओं से बनता है।
  • Protein एक जटिल कार्बनिक यौगिक है, जो 20 amino acids से मिलकर बना होता है।
  • Humen body का लगभग 15%part protein से निर्मित होता है।
  • सभी protein में nitrogen पाया जाता हैं।
  • Humen body में 20 Types के protien कि need होती है, जिसमे से 10 types के कुछ protein है जिसका हमारी body  खुद संश्लेषण करता है। शेष 10types के protien हैं जो हमे भोजन के द्वारा प्राप्त होता हैं।

Structure of protien::-

Protein Structure

Types of protein

  सरल प्रोटीन (simple protein):-

वे protein जो केवल amino acids से बना हो ,सरल प्रोटीन कहलाता है।

eg:- albuminse, glwobulins,hyston .

संयुक्त प्रोटीन( compound protein):-

 वे protein जिसमे amino acids के साथ कुछ अन्य पदार्थ के अणु के साथ समूह में जुड़े रहते है ।compound protien कहलाते हैं,eg. Coromoprotein, glycoprotein ect.

व्युत्पन्न प्रोटीन::-

        वेे प्रोटीन जो nutural protein के जलीय अपघटन से बनते है,व्युत्पन्न प्रोटीन कहलाते है।eg. proteins,peptin .

Sources of protein:-

 Animal sources:-
                                 include milk, meat,egg, cheese, fish and Fowl.

Plant sources:-
          include pulses, cereals, bean's, nuts,and oilseeds.

 

Daily requirement:-


    Adult:-65-75g (about 1g/kg body weight)
Children:-2.5g/kg body weight.

 Function of protein::-


         ✓  Body  को disease के against  protect करना , eg.  Antibodies तैयार करना।

✓कुछ Minerals  का transport करना,eg. Iron and copper.

✓Body tissues को repair and maintenance करने में help करना ।

✓Body में oxygen carries करना, eg. Hemoglobin.

✓Body के regulatory function को बनाएं रखना eg: hormone like insulin.

✓Bodybuilding and उनकी growth में help करना।


Saturday, August 1, 2020

Carbohydrate-Functions, sources,&Requierments

Hii Friends pichle Post Mei humne Nutrition and Nutrients ke baare Mei jana aur Essential nutrients ke classes ko jana,
 Aur Aaj hum unhi essential Nutrients ke ek classes carbohydrate ke baare mein janege.

What are Carbohydrate:-


 Structure of carbohydrate::-

Carbohydrate  बना है,


Carbo+hydrate से
Carbo means carben and
Hydrate means water
Carbohydrate का मतलब है  hydrate of water.
Carbohydrate carben, Hydrogen & oxygen से बना हुआ है

Sources of carbohydrate:-


  •    Cereals and millets ( rice, wheat, mazie,jawar,ragi, Bajra)
  • Root and tubers (potato,Topioca, sweet potato)
  • Pulse (rajmah, bengal gram,pea, bean's)
  • Nuts and oilseeds,suger, jaggery.
  • Dairy products .
Carbohydrate में  fibers   भी पाया जाता है।
लेकिन fibers को nutrients में नहीं लिया जाता।
हमारी body fiber को digest नहीं कर पाता लेकिन digestion के लिए मदद करता है।
या फिर यह कहे कि fiber को हमारी body तोड़ नहीं सकती।
लेकिन fiber को छोड़ कर body बाकी सभी carbo food को digest करके glucose में convert करता है।
Glucose suger का एक compound source है जो हमारे शरीर में ऊर्जा (energy) बनाता है

Daily Requirement::-

50-60%of total calories in normal person.

Function (कार्य)::-

  • Body को energy provide करना।
  • Maintain body tamperatur।
  • Prevent constipation (कब्ज), lower cholesterol level.
  • Body में fat oxidation करने के लिए।

Thursday, July 30, 2020

Corona virus,sign and symptoms, prevention

Coronavirus Kya hai:-
 

        Corona virus  एक ऐसे virus family से belong करता है जिसका संक्रमण सर्दी खासी से होता है।
यह virus  व्यक्ति के body में जाकर lungs को संक्रमित करता है
कोरोना वायरस चीन के बुहान प्रांत के  sea food market से शुरू हुआ।  जो आज पूरे देश में महामारी बन चुका है।
Corona virus infection transmission method (covid-19)


  1. Through respirator droplets
  2. Contact with contaminated surfaces
  3. Direct contact with infected people

Symptoms of coronavirus infection::-

  1. Fever
  2. Cough and cold
  3. Headache
  4. Sore throat
  5. New loss of test for smell
  6. Diarrhoea
  7. Muscles pain
  8. Runny nose
  9. Shortness of breath or  difficulty breathing
Prevention of coronavirus infection

Corona virus से बचाव के लिए अभी तक कोई मेडिसिन नहीं आयी, 
इसलिए इस परिस्थिति में  वायरस से बचने के लिए हमें कुछ सावधानी बरतनी है ।

जिससे हम इस बीमारी से बचे रहे, इसके लिए हमें इसे फैलने से रोकना होगा। इसलिए हमे
  1. हमें बार बार अपने हाथ को साबुन से अच्छी तरह कम से कम 20min तक धोना चाहिए।
  2. या फिर hand sanitizer का इस्तेमाल करना चाहिए।
  3. खांसते- छिकते वक्त टिशू  का इस्तेमाल करें, इस्तेमाल किए हुए टिशु को डस्टबिन में डालें।
  4. अपने हाथों को साबुन से धोएं या सैनिटाइजर से साफ किए बिना आंख नाक व  मुंह को  ना छूऐ।
  5.  अधिक भीड़ वाली जगहों पर ना जाए।
  6.  सामाजिक दुरी(social distense) बनाए रखें।
  7. किसी भी खुले जगह पर किसी भी वस्तु या जगह को ना स्पर्स करे।
  8. Cold drinks, cool Air, junk food लेने  से बचाव करे।
  9. Fmask का इस्तेमाल करें। 
Important question for COVID 19 








Monday, July 27, 2020

Essential nutrients

Important of Nutrition in Health

 

'Nutrition it is defined as the science of food and its relationship to Health.'

"Nutrition is one of the most important factor in keeping a healthy long living body. 

पोषण क्या है ? what is Nutrition:-
अपने आप को तथा पूरे जीव शरीर को (जीवित दशा) में बनाए रखने के लिए body में प्रत्येक कोशिका(cells) में जीव पदार्थ (Biomolecules) निरन्तर टुटते और बनते रहते हैं।
इस प्रकिया को हम Metabolism कहते हैं। इसMetabolism की प्रकिया  में खपने वाले पदार्थ को कच्चे माल(RAW materials) के रूप में हम जीव मनुष्य बाहरी वातावरण से भोजन (Food )केरूप में ग्रहण करते हैं ।जिसे हम पोषण( Nutrition) कहते हैं।

  भोजन के कार्य (Function of food):-


  1. Body मेंMetabolic function को निरन्तर बनायें रखने के लिए ऊर्जा(Energy)प्रदान करना उदाहरण:-Carbohydrate ( कार्बोहाइड्रेट)and fat(वसा)
  2. Body में निरंतर हो रहे कोशिकाओं के टूट-फूट की मरम्मत करना व शारीरिक संरचना को उत्तम बनाए रखना उदाहरण:- प्रोटीन(protein)
  3. शारीरिक संरक्षण(protection) शारीरिक ऊतकों(tissues) को व्यवस्थित उनके कार्यों को सुचारू रूप से बनाए रखना। उदाहरण :-विटामिन(vitamin) और खनिज (minerals). 

पोषक पदार्थ क्या है (what are nutrients)



 हमारे द्वारा प्रतिदिन लिए जाने वाले भोजन में पाए जाने वाले रासायनिक पदार्थ (chemical substance)जो हमारे शरीर में उर्जा प्रदान , शारीरिक  वृद्धिऔर कोशिकाओं की टूट-फूट की मरम्मत करने में सहयोग करते हैं । उन्हें हम पोषक पदार्थ( nutrients) कहते हैं।

पोषक पदार्थ के प्रकार( types of Nutrients)

     
 A.  Non-Essential nutrients & 
B. Essential nutrients

1)Non-Essential nutrients- 

            बहुत सारे ऐसे पोषक पदार्थ (Nutrients)होते हैं जो हमारे body में पहले से ही पाया जाता हैं या फिर हमारी body इन्हें खुद बना सकता है।
Non essential Nutrients का meaning है कि ऐसे पोषक पदार्थ जिसे हमें बाहर से यानी भोजन से लेने की आवश्यकता नहीं है।

2). Essential nutrients:-

             कुछ ऐसे पोषक पदार्थ भी हैं जिसे हमारी body नहीं बना सकते है। या फिर बना सकते है, मगर पूरी मात्रा में नहीं, इसीलिए हमें भोज्य पदार्थो कि जरुरत होती है। ऐसे Nutrients को हम essential nutrients कहते है।
ऐसे  45  essential nutrients  है जो हमारे food  में होते हैं‌।
Essential nutrients and non essential nutrientsके बीच confused होने की जरूरत नहीं है healthy रहने के लिए हमें दोनों की ही आवश्यकता है।
Essential Nutrients   के six classes है

Nutrients and composition of food and body:-

हम जो भोजन खाते हैं उसमें हमें सभी तरह के nutrients मिल जाते हैं,
eg. हम एक सेब के nutrient composition को देखते हैं
Apple में almost 84% water होता है, बाकी के बचे part में carbohydrate proteins and lipids साथ ही कुछ मात्रा में vitamins and minerals होते हैं।
अब हम human body की बात करते है हमारी body  70% water से और 10 to 20% fat से और बाकी body parts protein and carbohydrate और कुछ मात्रा में vitamins से बना होता है, हमारी bones minerals से बनी हुई है।
इस से पता चलता है कि जिन chemical substance से body बनता है उन्हीं से food भी बनते हैं।

Six classes of essential nutrient


Essential Nutrients के six classes को हम  organic and  inorganic nutrients में भी divideकिया जा सकता है।
Organic nutrients(carban):-
                ऎसे nutrients जिनमें carbon elements पाया जाता है,
कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन और वसा में कार्बन तत्व पाया जाता है।
Inorganic nutrients(No carban):-
         ऐसे nutrients जिनमें carbon elements नहीं पाया जाता है,
मिनरल्स और पानी में कार्बन नहीं पाया जाता है।
Essential Nutrients को हम macro & micronutrients में भी divide कर सकते हैं

MacroNutrients (Need more):-

        कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, और पानी की जरूरत हमारे शरीर को अधिक होती है इसी लिए इन्हें  macronutrients  में रखते है।  "इन nutrientsको हम gram में calculate करते है"

Micro nutrients ( need less):-

     Vitamin and minerals की जरूरत हमारे शरीर को कुछ मात्रा में होती है इसलिए इसे हम micronutrients में रखते हैं।
"इन nutrients को हम mili gram या micro gram में calculate करते है।