Health Nutrition Covid- 19 cardio system

Friday, September 17, 2021

Blood group (रक्त समूह)

रक्त समूह क्या होता हैं?? 

ये कितने प्रकार के होते हैं ??  

रक्त समूह में Rh factor क्या होता हैं ??

कौनसा रक्त किस रक्त समूह को दे सकते है या नही??? 

आइए इन सभी के बारे में  जानते है ।

 रक्त  समूह  (Blood group) :- 

 रक्त समूह  रक्त का एक वर्गीकरण है जो रक्त की लाल रक्त कोशिकाओं की सतह पर पर पाये जाने वाले पदार्थ मे वंशानुगत प्रतिजन (antigen)  की उपस्थिति या अनुपस्थिति पर आधारित होता है।

रक्त समूह के प्रकार   

 मानव शरीर मे  लाल रक्त कोशिकाओं में एंटीजन होते है ।

ये एंटीजन दो प्रकार के glycoporteins के रूप में होते हैं।   A और B  

वही प्लाज्मा में एंटीबॉडी होते है ये भी  दो प्रकार के होते है  anti - A or a  और anti -  B or b इनमे शुद्ध प्रोटीन होता है ।

Note :-" antigen A antibodies a और Antigen B antibodies b के परस्पर उपस्थिति में अधिक चिपकने वाले sticky हो जाते है "  

इसलए इनका एक दूसरे के विपरीत होना ही सही होता हैं ।

Rh blood group system :-  

Rh factor 

Rh factor  एक एंटीजेनिक प्रोटीन है जो  लाल रक्त कोशिकाओं के सतह पे पाया जाता है 

जिस व्यक्ति के रक्त में यह एंटीजेनिक प्रोटीन  पाया जाता है उन्हे Rh  positive कहा जाता हैं ।

और जिनमे यह प्रोटीन नही होता उन्हे Rh negative कहते है ।

  कौनसा रक्त किस व्यक्ति को दे सकते हैं 

  A positive blood :-  A negative और A positive group के लोगों को दे सकते है ।

और O negative , A positive A group से Blood ले सकते है ।


B positive :-  B negative और B positive   को ब्लड दे सकते है ।और O negative तथा  B positive से Blood ले सकते है  ।

O positive :- O negative , A positive,B positive,AB Positive group 

  को blood दे सकता है । और O negative से Blood ले सकता है ।

वही AB Positive :- AB Positive को ब्लड दे सकते है और O negative से blood ले सकता है । 

O blood group को universal donar ( क्यू कि इसमें एंटीजन नही होता )  और AB Group को universal reciver(क्यूं कि  इनमे antibodis नही पाया जाता )  कहते है 

 
 

Tuesday, September 8, 2020

Human Skeletal system

  Human Skeletal system

शरीर को सहारा देकर इसकी आकृति बनाए रखना तथा आन्तरांगो के विन्यास को यथावत बनाए रखना और बाहरी दुष्प्रभाव से आंतरांगो की सुरक्षा करना शरीर संगठन के लिए अत्यावश्यक होते हैं।
छोटे जंतुओं में देह भित्ती से ही काफी सहारा और सुरक्षा मिल जाता है, परंतु बड़े जंतुओं में इसके लिए देह भित्ती के अतिरिक्त भी किसी ना किसी प्रकार की संरचनाओं की आवश्यकता होती है जिन्हें कंकाल रचनाएं(Skeletal Structure)  कहते हैं। 
Human Skeletal Structure
Human Skeletal Structure)

विविध प्रकार की कंकाल रचनाओं से बने दो प्रकार के कंकाल पाए जाते हैं  
1)बाहृय कंकाल     
 2)अन्तः कंकाल  
  
  1) Exoskeleton (बाहृय कंकाल):- 
  इसमें हमारे बाल अर्थात रोम और नाखून आते हैं।

 2) Endoskeleton(अन्तः कंकाल):- 
   इसमें हमारे शरीर के भीतर की अस्थि पंजर आता है जो व्यस्क मनुष्य में 206 तथा शिशुओं में 213 पृथक हड्डियों का बना होता है ।
कंकाल के अक्षीय तथा उपांगीय भागों में हड्डियों की संख्या अग्र प्रकार होती है- 
  A) Axial Skeleton(अक्षीय कंकाल):- 
   यह हमारे शरीर के अस्थि पंजर का सीधा खड़ा भाग होता है इसमें खोपड़ी एवं वक्ष भाग तथा कशेरुक दंड की व्यस्क में हंसी तथा शिशुओं में 87 हड्डियां निम्न प्रकार वितरित होती है। 
कपाल     -           8
चेहरा   -               14
कानों की अस्थियां  -    6
हाईऔइड            -1
कशेरुकाएं        -26(शिशु में 33)
उरोस्थि।          -1
पसलियां         -  24

 

B) Appendicular  :- 
 इसमें हमारे ऊपरी तथा निचले पादों अग्रांगो अर्थात हाथ पैर तथा इन्हें धड़ से जोड़ने वाली मेखलाओ की 126 हड्डियां होती हैं 
इनका वितरण निम्नलिखित होता है
१). ऊपरी अर्थात उच्च अग्रांग - 

 

अंसमेखलाएं    -‌     4

 

हाथ    -    60

 

 २).निचले अर्थात निम्न अग्रांग:-

  श्रोणि मेखलाएं    -  2

 टांगे   -    60

 

 Bones of Human Skull  

    हमारी खोपड़ी में कुल 28 हड्डियां होती हैं जिनमें से आठ मस्तिष्क के चारों और का मस्तिष्क खोल(brain case) अर्थात कपाल(carnium) बनाती हैं। जिसकी गुहा को कपालिय गुहा(cranial cavity) कहते है। शेष हड्डियों में से 14  हड्डियां हमारे चेहरे(face) का कंकाल बनाती हैं तथा 6 मध्य कानों में  कणॆ अस्थिकाएं  होती है कपाल गुहा के अतिरिक्त खोपड़ी में विशिष्ट संवेदा़गो(special sensory organ)  के लिए अन्य छोटी-छोटी गुहाएं भी होती हैं।  खोपड़ी की कुछ हड्डियों( frontal, sphenoid, ethmoid, maxlliry) मैं हवा से भरे छोटी-छोटी गुहाए होती हैं   जिन्हें परानासिक कोटर(paranasal sinuses) कहते हैं। इनके अतिरिक्त खोपड़ी की हड्डियों में तंत्रिकाओं तथा रुधिर वाहिनियों के आने-जाने के लिए छिद्र होते हैं। पूर्ण खोपड़ी में निचले जबड़े में मैंडीबल हड्डी(mandible bone) तथा   कानो की अस्थिकाएं चल(movable) होती  हैं,  शेष सब अचल(immovable) मस्तिष्क तथा विशिष्ट संवेदा़गो की सुरक्षा करने के अतिरिक्त, खोपड़ी, पाचन ,तथा स्वसन तंत्र के प्रवेश मार्ग बनाती हैं तथा उन पेशियों को संधि स्थान प्रदान करती हैं जिनकी सहायता से हम सिर के चल भागों को हिलाते डुलाते  है और चेहरे से डर, क्रोध, खुशी, दुख, आश्चर्य आदि भावनाओं की अभिव्यक्ति(expression) करते हैं। 
खोपड़ी की विभिन्न हड्डियो का विवरण निम्न है-

  



 

Hyoid Bone

 यह U के आकार की (U shaped) बहुत गतिशील हड्डी होती  है जो हमारी गर्दन में mendible और neck के बीच में जिव्हा के नीचे स्थित रहती है । यह अक्षीय कंकाल की इसीलिए एक अव्दितीय  हड्डी होती है कि यह किसी अन्य हड्डी से संधित नहीं होती ;केवल ligaments तथा muscles द्वारा temporal bone के स्टाइलाॅएड पर्वर्धो से जुड़ी होती हैं। यह जिव्हा को सहारा देती हैं। जिव्हृा ,कण्ठ, गर्दन,ग्रसनी की गतियों से संबंधित कुछ पेशियों इसी से जुड़ी होती है  

हाइऔइड में एक क्षैतिज काय होती है और इसमें दोनों और निकले  एक-एक  जोड़ी श्रृंग (horns or cornua: एकवचन- cornu)।  प्रत्येक और एक बड़ा श्रृंग(greater cornu) होता है तथा एक काफी छोटा सा श्रृंग (Lesser cornu)। 
Hyoid bone
HYOID BONE 


Ear or Auditory Ossicles:- 
 हमारे प्रत्येक मध्य कानों में एक दूसरे के आगे जुड़ी तीन छोटी-छोटी हड्डियां होती हैं यह कान के पर्दे(Ear drum)  से अंतःकरण की ओर क्रमशः Malleus, incus,तथा stapes होती हैं।  स्टैपीज शरीर की सबसे छोटी हड्डी है।

 कशेरुक दण्ड (Vertebral column or Bakebone) 

 

           उरोस्थि ( sternum), पसलियों तथा कशेरूक दण्ड हमारी गर्दन एवं धड़ का कंकाल बनाती  हैं। कशेरुक दंड हमारी पीठ की मध्य रेखा में सिर से धड़ तक फैली , पुरषों में लगभग 71cm, परन्तु स्त्रियों में लगभग 61cm लंबी , अस्थिये संरचना होती हैं जो प्रायः पीठ की त्वचा से ढंकी सतह पर उभरी हुई दिखाई देती हैं। इसे मेरुदंड या रीढ़ की हड्डी( spine) भी कहते है।  
इसी पर हमारा शरीर सधा होता है और इसी से मेरुरज्जु (spine cord)  सुरक्षित बंद रहती है इसके अतिरिक्त यह पसलियों को जोड़ने की स्थान तथा पादों की  मेखलाओं को सहारा देती है इसी से हमारी पीठ की पेशियां जुड़े रहते हैं जिसके कारण हम धड़ को आगे पीछे या  पाश्वो में कुछ सीमा तक  झुका और घुमा सकते हैं। 
 कशेरुक दंड एक ही दंड नुमा हड्डी कि नहीं वरन् एक दुसरे के पीछे जुड़े 26 ( शिशुओ में 33) छोटी -छोटी हड्डीयों की बनी होती है जिन्हें कशेरुकाएं कहते हैं इनका वितरण निम्न प्रकार होता है- 
 गर्दन में  - ग्रीवा कशेरुकाएं(Cervical vertebrae)-7

 वक्ष भाग में  - वक्षीय कशेरुकाएं ( Thoracic vertebrae)-12 

 कटि भाग में  - कटि कशेरुकाएं (Lumber vertebrae)-5 

 त्रिक  भाग में - त्रिकास्थि (sacrum) -1 (शिशुओं में 5 कशेरुकाएं)

श्रोणि भाग में   - अनुत्रिक (cocoyx)-1 ( शिशुओं में  4 कशेरुकाएं)
 


Monday, September 7, 2020

संतुलित आहार व पोषक पदार्थों का कैलोरिक महत्व

 Balance diet of humans and caloric importance of nutrients ( protein, carbohydrates and fats) 

 What is  the food:-
          एक व्यक्ति अपने शारीरिक गतिविधियों को बनाए रखने के लिए  अर्थात ऊर्जा प्राप्त करने के लिए मनुष्य 1 दिन में जितना भोजन ग्रहण करता है।भोजन का वह  पूर्ण मात्रा ही आहार (food)  कहलाता हैं।

     Definition of balanced diet:-   
   जैसा कि हम जानते हैं हम अपने पोषण(Nutrition) क्रिया में अपने भोजन से उन पोषक पदार्थों(Nutrients) को पचाकर प्राप्त करते हैं। जो शरीर की  कोशिकाओं  के उपापचय(metabolism) में निरंतर प्रयुक्त होते रहते हैं। हमारे शरीर की वृद्धि, स्वास्थ्य, क्रियाशीलता, उद्यमशीलता, आयु आदि लक्षण हमारे आहार की गुणवत्ता(Quality) तथा मात्रा(Quantity) पर निर्भर करते हैं। इसीलिए एक पुरानी कहावत है कि" तुम वैसे ही होते हो जैसा खाते ह" स्पष्ट है कि हमारे आहार में विभिन्न प्रकार के सभी पोषक पदार्थों ऐसे अनुपात में होने चाहिए कि जिससे हमारे शरीर की सारी विभिन्न आवश्यकतओं की निरंतर पूर्ति होती रहे। ऐसे ही आहार को संतुलित आहार(Balance Diet) कहते हैं।




Calories value of food ( भोजन की उष्मीय गुणवत्ता):- 
        भोजन की उपापचयी उपयोगिता को उष्मीय ऊर्जा की इकाइयों(units) में व्यक्त किया जाता है जिन्हें उष्मांक(Calories) कहते  हैं। एक छोटा  उष्मांक ( small calorie-cal.or C) तापीय ऊर्जा( Heat energy)   की मात्रा होती है जो 1 ग्राम जल के ताप  को 1 डिग्री सेल्सियस बढ़ा देती है ।1000 छोटे उष्मांको   का एक बड़ा उष्मांक( large Calorie-kcal. Or C) अर्थात किलो  उष्मांक होता है। इसमें इतनी तापीय उर्जा होती है जो 1 किलोग्राम जल के ताप को  1°C बढ़ा देता है ।

शरीर को जीवित रखने के लिए आवश्यक ऊर्जा हमें तीन श्रेणियों के दीर्घा पोषक पदार्थों- कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, तथा वासाओं के आक्सीकर विखंडन  अर्थात  उपापचय जारण से प्राप्त होती है एक ग्राम कार्बोहाइड्रेट    या प्रोटींस  के उपापचयी जारण से 4 किलो कैलोरी तथा 1 ग्राम वसा की  जारण से 9.3 किलो कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। 


Healthy Eating  (स्वस्थ आहार):- 

 यदि भोजन से प्राप्त होने वाली  समस्त ऊर्जा को हम निरंतर अपनी जैविक क्रियाओं   खपाते रहे अर्थात ऊर्जा की आमद  इसकी खपत के बराबर रहे ( energy input is equal to energy output)  तो हमारा शरीर स्वस्थ बना रहता है ।
 वैज्ञानिकों ने  पता लगाया कि सामान्य दिनचर्या के लिए   शिशुओं तथा वृद्ध व्यक्तियों को लगभग 1600, बड़े बच्चों को लगभग 2200 तथा जवान व्यक्तियों को लगभग 2800 किलो कैलोरी ऊर्जा की आवश्यकता होती है।  शारीरिक श्रम करने वाले व्यक्ति को श्रम की सीमा के अनुसार अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि भारतीयों में दैनिक आवश्यकता की लगभग 50%-60% ऊर्जा की पूर्ति कार्बोहाइड्रेट से, 25 से 30% की वहां से तथा 15% प्रोटीन से होती है। इन आंकड़ों के हिसाब से हमारे भोजन सामग्री में अवचेतन 400 से 500 ग्राम कार्बोहाइड्रेट 770 ग्राम वसा ए तथा 65 से 75 ग्राम प्रोटीन का होना आवश्यक होता है अंतः स्वास्थ्य,  संतुलित आहार के निर्धारण के लिए पहले यह जान लेना आवश्यक होता है कि हमारे विभिन्न  श्रेणियों की भोजन सामग्री में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन तथा वसाओं की कितनी कितनी प्रतिशत मात्राएं होती हैं

   भोजन सामग्रियों में कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन तथा वसाओं की लगभग प्रतिशत मात्राएं( Approximate Percentage Contents  of Nutrients in Our Foodstuff) 



                 

Thursday, September 3, 2020

Fat, function and Requierments

 FAT (वसा) 
Introduction:-
             वसा (Fat) का निर्माण माइट्रोकांड्रिया में होता है, जो Glyserol+fatty acids से एक एस्टर बनता है,उसे ही वसा (Fat )कहतेहैं।इसमें कार्बन हाइड्रोजन ऑक्सीजन विभिन्न मात्रा में मिले होते हैं। जब वसा 20 डिग्री सेल्सियस ताप पर द्रव अवस्था में हो तो तेल कहलाता है, परंतु अगर वह इसी ताप पर ठोस अवस्था में हो तो वसा कहलाता है वह समय मिलने वाले ऊर्जा कार्बोहाइड्रेट से 2 गुना अधिक होती हैं। वसा हमेशा ठोस रूप में ही पाया जाता है।
 Sources of Fat:- 
 Animal source:- दूध, घी,मक्खन , अंडे की जर्दी,  मांस, मछली ।
Plant source:-मूंगफली, सरसों का तेल, सोयाबीन, तिल का तेल,  नारियल ,बादाम , दालें आदि। 
 Daily requirement:-  
(15%-20% of total calories).
" एक महिला को प्रतिदिन 70 ग्राम और पुरुषों को 95 ग्राम और बच्चों को 70 ग्राम का सेवन करना चाहिए "। 
 Types of Fat:- 
 वसा के प्रकार निम्न है-
1-संतृप्त वसा(saturated Fat)
2-असंतृप्त वसा ( unsaturated fat)
3-ट्रांस फैटी एसिड(Trans fatty acids) 

1-संतृप्त वसा(saturated Fat):-  यह उच्च LDLस्तर 'खराब कोलेस्ट्रॉल' का सबसे बड़ा कारण होता है। इसके सेवन से बचना चाहिए जैसे मक्खन, पनीर, आइसक्रीम, क्रीम और वायु युक्त मांस, नारियल तेल, ताड़ का तेल, तेल जैसे पदार्थ में पाया जाता है।

2-असंतृप्त वसा ( unsaturated fat):- यह  रक्त कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है। इसमें कैलोरी की मात्रा काफी होती है, इसका सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए जैसे जैतून का तेल, मछली, अखरोट, सूरजमुखी, मक्का, सोयाबीन, जैसे पदार्थों में पाया जाता है।

3-ट्रांस फैटी एसिड(Trans fatty acids) :- जो वनस्पति तेल हाइड्रोजनीकरण की प्रक्रिया के दौरान सख्त हो जाता है। यह LDL के स्तर को बढ़ा सकता है और HDH अच्छे कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम कर सकता है। इसका उपयोग सीमित मात्रा में करना चाहिए जैसे:- तले हुए भोजन, बाजार की चीजें -डोनेट, कुकीज़,प्रोसेस्ड फूड्स में पाए जाते हैं।  
Function of fat:- 
   - वसा शरीर में ऊर्जा प्रदान करता है।
-त्वचा के नीचे जमा होकर शरीर के ताप को बाहर नहीं निकलने देता।
-ये Fat soluble vitamins को absorption करने में मदद करता है।
 Deficiency of  fat:- 

           इसकी कमी से-
       -   त्वचा रुखी हो जाती है।
     -  वजन कम होने लगता हैं   -शारीरिक विकास रूक जाता है।
इसकी अधिकता से-
  - शरीर स्थल हो जाता है।
-हृदय  संबंधी रोग होने लगते हैं 
-  रक्तचाप बढ़ जाता है।


Tuesday, September 1, 2020

What is Mineral salts and water? Important and source

 
MINERAL SALTS (खनिज लवण) 

    हमारे शरीर में अल्प मात्रा में लगभग 20 प्रकार के खनिज लवण  मुखयातः आयनों  के रूप में होते हैं। शरीर की कुल भार का लगभग 4 से 5% अंश  बनाते हैं। यह अकार्बनिक तत्व होते हैं। इन्हें भोजन से प्राप्त किया जाता है यद्यपि इनकी अल्प मात्रा की ही शरीर में खपत होती है, परंतु इनके बिना शरीर की  सुचारू क्रियाशीलता को बनाए रखना असंभव  होता है। इसीलिए  इन्हें अल्प पोषक ( Micronutrients) कहते है। इनके खनिज तत्वों को दूसरा में बांटा जाता है। 
लघु तत्व(minor elements) अपेक्षाकृत कुछ अधिक मात्रा की आवश्यकता होती है तथा
 अल्प तत्व(trace elements) जिनकी  बहुत ही कम मात्रा में आवश्यकता होती है।

Important of Minerals in our Body:-

  हमारे शरीर में खनिज लवणों तत्वों की महत्व निम्नलिखित है

(1) कुछ खनिज आयन कोशिका द्रव्य तथा  कोशिका कला में Electro-chemical conductivity उत्पन्न  करके irritability तथा reactivity का संचालन करती हैं।
(2) कुछ खनिज आयन उपापचय अभिक्रियाओं में अणुओं को जोड़ने वाले बन्धो  का काम करते हैं।
(3 )कुछखनिज लवण जैसे की कैलशयम फास्फेट  bones and teeth के प्रमुख घटक होते हैं।
(4)कुछ खनिज तत्व हृदय स्पंदन ,पेशी संकुचन  , रुधिर का थक्का आदि के लिए आवश्यक होते हैं।
(5) कुछ खनिज शरीर के तरल  intrnal environment में उपयुक्त  pawer of hydrogenतथा blood pressure आदि का नियमन करते हैं।

 Types of mineral elements:-

  Minerals divided in Two parts - A) Minor elements and B) Trace elements

 A) Minor elements में पाए जाने वाले खनिज तत्व निम्न है :-
1) कैल्शियम(calcium-ca) :-  
     Daily requirement:- about 800mg

   Sources:  milk, Hard cheese, Ice Cream, Broccoli, egg , fish etc. 

Function:  विटामिन के  साथ दातो और हड्डियो  को दृढ़ता प्रदान करता है; रूधिर स्कन्दनः , एवं पेशियों के कार्य।

2) फास्फोरस (Phosphorus-P) :- 
       Daily requirement:-1.5g of phosphate 

   Sources: milk, cheese, egg yolk,meat,fish, chicken,nuts, cereals etc.

Function:- . दातो और हड्डियो की रचना; तथा कठोरता प्रदान करता है तथाacid and base को संतुलित बनाएं रखता हैं ;ATP,DTP,RNA आदि का घटक।

3) पोटेशियम (  potassium-k):- 
 Daily requirement:- about 4g

 Sources:- meat ,fish ,chicken ,cereals, vegetables and fruits etc.

Function:-  acid-base को balance करना।
- Intracellular fluid को mainteane करना।
-पेशियो की कार्यिकी, एवं हृदय-स्पदन।
-ये कोशिका द्रव्य में धनायन रूप में होता है।

4) सोडियम(Sodium-Na):- 
 Daily requirement:-1-3.5g). 

 Sources:-Table Salt,meat, fish, chicken, egg milk, and baking soda. 

Function:- Electrolytes and acid-base  के balance को maintain करना। 
-Maintenance of blood viscosity.
- help in transmission of nerve impulses and contraction of muscles.

5) मैग्नेशियम (Megnesium-mg):-
  Daily requirement:-about 3.5mg

 Sources:- milk, fish, meat, green vegetables, cereals and fruits .

Function:- 
-teeth and bones को constituent करना और उनकी grwoth और maintenance बनाए रखना।
 -Glycolysis के तथा एटीपी पर आश्रित कई उपापचय अभिक्रियाओं के एंजाइमों का cofactor , तंत्रिका तंत्र की कार्यकी,।

6) आयरन (Iron):- 
 Daily requirement:- about 10-12 mg

Sources:- Liver,meat,egg yolk, dark green vegetables, enriched bread and cereals.
 Function:- 
Red Blood Cell में hemoglobin बनाने में सहायक होता है
 -तथा  tissues को oxynited बनाए रखने में आवश्यक है।

  7) जिंक (zinc-zn) 
Daily requirement:-  about 15gm   

Sources:- milk,egg,meat,sea food and cereals.

Function:-  protein and nucleic acid के संश्लेषण,
-पाचन एन्जाइमो सहित लगभग 100 एन्जाइमो का सहघटक करना।   
  8) सल्फर(Sulphur-S) 
Sources:- egg, meat,paneer, fish etc. 
Function:- कई amino acid and कुछ हार्मोन एवं विटामिनों का घटक ।
-कोलैजन एवं किरैटिन के संश्लेषण के लिए आवश्यक है।

9) फ्लोरीन (Fluorine-F) :- 
Daily requirement:- 2.5mg 
Sources:- drinking water,tea,sea food .

Function:- Bone and teeth को सुरक्षा करना ।

B) Trace elements में पाए जाने वाले निम्न खनिज तत्व:- 
1) आयोडीन(Iodine-I):- 
Daily requirement;- 150 micro gram 

 Sources;- Iodised Salt, sea food, Marine fish,fresh vegetables।

Function:- constituent of Thyroxine (T4)and Triodothyronine (T3).
-Regulates basal Metabolism. 

2) तांबा (Copper-cu):- 
Daily requirement;- 2.0 mg 

Sources:- meat,sea food, egg, fish,green vegetables,dry fruits etc।

Function:-  Hemoglobin and bones के निर्माण में सहायक होते हैं।
- इलेक्ट्रोनिक संवाहक के रूप में कार्य करता है।

3) कोबाल्ट(Cobalt-Co) :-
 Sources:- milk,fish, paneer meat etc. 

Function:- vitamins B12 and RBC के संश्लेषण में सहायक होते हैं।

4) मैंगनीज (Maganese-Mn):- 
Daily requirement:- 3.5mg 

 Sources:- green vegetables and fruits, cereals,tea,etc.

Function:- फास्फेट समूह के स्थानांतरण से संबंधित अभिक्रियाएं के कुछ एंजाइमों का सहघटक।
-यूरिया संश्लेषण।

5) क्रोमियम (chromium-Cr):- 
Daily requirement:- 120micro gram.

Sources:- Yeast,sea food,meat,some vegetables. 
Function:- ग्लूकोस तथा अपचयी उपापचय में महत्वपूर्ण

Water (जल)

जल  हमारे शरीर का प्रमुख अंग होता है शरीर के भार का कुल 65 से 75% भाग जल होता है

 कार्य( function of water):-

-जल हमारे शरीर के ताप को स्वेदन (पसीना ) तथावाष्पन द्वारा नियंत्रित रखता है।

-जल हमारे शरीर के अपशिष्ट पदार्थों के उत्सर्जन में सहायक होता है

-शरीर में होने वाले अधिकतर जैव रासायनिक अभिक्रियाएं जलीय माध्यम से संपन्न होती हैं।