What is the Health
health is a" status of complete physical mental and social well- being and not merely the absence of disease or infirmity" according to world health organisation(WHO).
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार स्वास्थ्य सिर्फ रोग व दुर्बलता की अनुपस्थिति ही नहीं बल्कि एक पूर्ण शारीरिक सामाजिक और मानसिक खुशहाली की स्थिति है।
स्वस्थ रहना जीवन का सबसे बड़ा सुख है अन्यथा जीवन भर स्वरूप लगने लगती है यदि हम स्वास्थ्य निरोगी है तभी जीवन का उत्तम सुख प्राप्त कर सकते हैं।
पुरानी कहावत है -"पहला सुख निरोगी काया"
स्वास्थ्य शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है। और स्वस्थ मस्तिष्क स्वस्थ समाज से बनता है।
वेदों में ऋषियों ने कहा है "शरीरमाध्ं खलु धर्मसाधनम्"
अर्थात या शरीर ही धर्म का साधन है यदि हम धर्म में विश्वास रखते हैं और स्वयं को धार्मिक कहते हैं ।तो अपने शरीर को निरोगी व स्वस्थ रखना हमारा कर्तव्य बनता है।
विदेशी विद्वान डॉक्टर बेनेडिक्ट जस्ट ने कहा है:-" उत्तम स्वास्थ्य अनमोल रतन है जिसका मूल्य तब ज्ञात होता है जब वह खो जाता है"
और शायराना शब्दों में - "कद्रेसेहत मरीज से पूछो तंदुरुस्ती हजार नियामत है"
शारीरिक स्वास्थ्य ::-
शारीरिक स्वास्थ्य शरीर की स्थिति को दर्शाता है जिसमें सी संरचना विकास कार्य प्रणाली और रखरखाव शामिल होता है
अच्छी शारीरिक स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के कुछ निम्नलिखित तरीके हैं
- शरीर के सभी अंग सामान्य आकार के हो तथा उचित रूप में कार्य कर रहे हो।
- नाड़ी ,रक्तदाब, शरीर का भार ,व्यायाम व सहनशीलता आदि सब कुछ व्यक्ति के आकार आयु व लिंग के लिए सामान्य मानकों के अनुसार होना चाहिए।
- शरीर की ऊंचाई के हिसाब से वजन का होना।
- शारीरिक संगठन सुदृढ़ व लचीला होना।
- पाचन शक्ति सामान्य व सक्षम होना।
- संतुलित आहार की आदतें एवं मीठी स्वास गहरी नींद
- स्वस्थ व सामान्य ज्ञान इंद्रियां होना
मानसिक स्वास्थ्य::-
मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ हमारी भावनात्मक और आध्यात्मिकता से है मानसिक स्वास्थ हमारी भावनाओं को व्यक्त करती है और जीवन में दर्द निराशा और उदासी की स्थितियों में खुद को परिस्थिति के अनुकूल रहने में सक्षम बनाती है
अच्छे मानसिक स्वास्थ्य की सुनिश्चित करने के निम्नलिखित कुछ तरीके :-
- मन की संतुलित अवस्था।
- डर, क्रोध, इर्ष्या, का अभाव होना।
- मानसिक तनाव एवं अवसाद ना होना।
- वाणी में संयम और मधुरता होना।
- परोपकार एवं समाज सेवी की भावना वाला होना।
- परिस्थितियों के साथ संघर्ष करने की सहनशक्ति होना
- विकट परिस्थितियों में संमाजस्य बढाने वाला हो।
सामाजिक स्वास्थ्य्::-
हम सामाजिक जीव हैं अतः संतोषजनक रिश्तो का निर्माण करना और उसे बनाए रखना हमें स्वाभाविक रूप से आता है। सामाजिक रूप से सबके द्वारा स्वीकार किया जाना हमारे भावनात्मक खुशहाली के लिए आवश्यक होता है।
सामाजिक स्वास्थ्य के कुछ उदाहरण जैसे:-
- प्रदूषणमुक्त वातावरण होना।
- शुद्व पेयजल एवं पानी की टंकियों का प्रबंध होना।
- समाज अहिंसा, सत्य, अस्तेय, एवं अपरिग्रही स्वभाव का होना।
- वृक्षारोपण का अधिकाधिक कार्य हो।
- सार्वजनिक स्थलों पर पूर्ण स्वच्छता हो।
- भय एवं भ्रममुक्त समाज होना।
- मानव कल्याण के हितों का समाज होना
- मौसमी फल एवं सब्जियों की उपलब्धता
- समाजिक एवं व्यक्तिगत जीवन में स्वास्थ्य सम्बन्धी जागरुकता की स्थिति
- पेषण संबधी स्वास्थ्य-शिक्षा का प्रचार- प्रसार
- उत्तम आर्थिक व्यवस्था, शैक्षणिक व्यवस्था,चिकित्सीय व्यवस्था,परिवहन व्यवस्थाएं होना
- पोषण व्यवस्था एवं आहार के समुचित भंडारण की व्यवस्था
- अंधविश्वास एवं गलत धारणाओं से मुक्त समाज
- सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक एवं मनौवैज्ञानिक स्तर
- जनंसख्या वृद्वि में समुचित नियंत्रण
अधिकांश लोग अच्छे स्वास्थ्य के महत्त्व को नहीं समझते हैं ।और तो वे अभी तक इसकी उपेक्षा कर रहे हैं कि हम जब भी स्वास्थ्य की बात करते हैं तो हमारा ध्यान शारीरिक स्वास्थ्य तक ही सीमित रहता है। हम बाकी आयामों के बारे में नहीं सोचते हैं। अच्छे स्वास्थ्य की आवश्यकता हम सबको है। अधिकांश रोगों का मूल हमारे मन में होता है। एक व्यक्ति को स्वस्थ तब कहा जाता है जब उसका शरीर स्वस्थ और मन साफ और शांत हो। कुछ लोगों के पास भौतिक साधनों की कमी नहीं होती है फिर भी वे दुःखी या मनोवैज्ञानिक स्तर पर उत्तेजित हो सकते।
No comments:
Post a Comment